रांची। अनुबंध कर्मियों की नियमित करने के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। संविदा पर नियुक्त कर्मियों और दैनिक कर्मियों की ओर से हाईकोर्ट में दायर 87 अलग- अलग याचिकाओं की एक साथ सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को हुई.

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा. हालांकि आज सुनवाई पूरी नहीं हो सकी औरअगली सुनवाई अब 31 अगस्त को होगी. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। इस फैसले पर राज्य भर के लाखों कर्मियों की निगाहें टिकी है।

क्या है मामला

याचिकाकर्ताओं में संविदा कर्मी एवं दैनिक कर्मी शामिल हैं. इन अनुबंध कर्मी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वह 10 वर्षों से अधिक समय से संविदा पर या दैनिक कर्मी के रूप में अलग-अलग विभागों में काम करते आ रहे हैं. उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट सहित राज्य सरकार की नियमावली का जिक्र करते हुए कहा गया कि उनकी नियुक्ति नियमित की जानी चाहिए.

आवेदक याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता एमएम पाल, अधिवक्ता राधा कृष्ण गुप्ता, अधिवक्ता पिंकी साव, अधिवक्ता सौरभ अरुण, अधिवक्ता अमृतांश वत्स आदि ने पैरवी की. इस संबंध में याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कई ऐसे आदेश का जिक्र किया जिसमें अनुबंध से नियमित करने संबंधी आदेश दिया गया था।

क्या कहता है न्यायालय का आदेश

कोर्ट के जानकर का कहना है की अनुबंधकर्मी को नियमित करने के मामले में उमा देवी बनाम राज्य सरकार का फैसला अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को 10 वर्ष से काम कर रहे अनुबंध कर्मियों को नियमित करने की छूट दे रखी हैं। इसके बावजूद 20 वर्षों से भी अधिक समय से राज्य में कार्य कर रहे अनुबंध कर्मियों को राज्य सरकार नियमित नहीं कर रही।

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