रांची । 24 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे NHM स्वास्थ्य कर्मी उस वक्त आक्रोश बढ़ गया जब अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष की तबीयत गंभीर हो गई। गभीर स्थिति में उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया है। गुरुवार को एमडी एनएचएम के धरना स्थल पर आने के बाद सकारात्मक पहल की बात चल रही थी। परंतु जिस तरह से बात आगे नहीं बढ़ पाई उससे ये साफ जाहिर है की सरकार जल्द पहल करने के मूड में नहीं है।

अन्य संगठन भी आंदोलन में कूदे

1 फरवरी से अलग अलग संगठन भी आंदोलन करना शुरू कर चुके हैं। गुरुवार को भी कार्य बहिष्कार का एलान किया गया था। और भी की संगठन आने वाले दिनों में एनएचएम कर्मियों के आंदोलन के समर्थन में आंदोलन की रणनीति बना चुके हैं। ऐसे में मामला और भी आने वाले दिनों में बिगड़ सकती है।

सरकार नियोजन नीति 2021 से इसे जोड़ कर देख रही है। परंतु अनुबंध कर्मी का कहना है की नियोजन नीति 21 अलग है और हमारी नियमितीकरण अलग। हमारी नियुक्ति रोस्टर क्लियरेंस के साथ हुई है।सरकार को हमारी नियुक्ति स्थाई तौर पर करनी चाहिए।

आंदोलन के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर रखने के लाख दावे किए जा रहे हों पर हकीकत ये है की जिन अनुबंध कर्मियों के बदौलत विभाग अपनी पीठ थपथपा रही थी अब उसे व्यवस्था को चलाने में काफी जद्दोजहद उठानी पड़ रही है।उसके वावजूद स्वाथ्य व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। और स्वास्थ्य विभाग में सारी सुविधाएं लगभग बंद है।

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