रांची ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन (AJPMA) ने स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध पर कार्य कर रहे कर्मियों के नियमितीकरण की दिशा में कड़ा रुख अख्तियार किया है। इस बाबत एसोसिएशन के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है की विभाग में बिना किसी अन्य सुविधा के 15 वर्षो से भी अधिक समय से कार्य कर रहे कमियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। अल्प मानदेय के अलावा उन्हें किसी भी प्रकार की कोई सुविधा देय नहीं हैं जिससे अनुबंधकर्मी अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा, सामाजिक दायित्व का निर्वहन, और जीवनयापन का स्तर ऊंचा कर पाने में असमर्थ हो रहे है । महासचिव ने कहा की कई कर्मी पैसे की कमी से असमय काल के गाल में समा गए ,आज उनके परिवार- बच्चे को देखने वाला भी कोई नहीं। इन्हीं कर्मियों ने अपनी जान पर खेलकर कोरोना जैसी महामारी से जंग जीतने में मदद दिलाई है।

इन तमाम सवालों के बाद ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन की राज्य स्तरीय बैठक भी 11सितंबर को बुलाई गई थी। जिसके बाद एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा है की अनुबंध कर्मियों के लिए क्वालीफाइंग मार्क्स की बाध्यता को एसोसिएशन सिरे से खारिज करती है और अनुबंधकर्मियो को बिना किसी बाध्यता के सीधे समायोजन का प्रस्ताव विभाग को तैयार करना चाहिए।

क्या कहते हैं एसोसिएशन के पदाधिकारी

HPBL की टीम ने जब ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन(AJPMA) के पदाधिकारी से अबतक के सरकार के रवैए और नियमितीकरण की दिशा में बात की तो बताया कि

राज्य उपाध्यक्ष चंदन ठाकुर ने बताया की बढ़ती महंगाई में अनुबंधकर्मी अल्प मानदेय पर कार्य करते हुए स्वास्थ्य सेवा में लगे हैं,उन्हें बस उम्मीद है की एक दिन सरकार हमारी स्थिति को देखकर नियमित करेगी परंतु आए दिन सरकार की तरफ से नियमितीकरण की दिशा में कोई ठोस कदम उठता दिख नहीं रहा।

महिला उपाध्यक्ष उमा काबरा ने बताया की आए दिन सिर्फ एक बात सुनने को मिल रही है नियमावली में संशोधन का कार्य हो रहा है परंतु ये किस प्रकार का संशोधन है?,क्या इस संशोधन से अनुबंध कर्मी का समायोजन हो जायेगा, इन तमाम सवालों के जवाब में विभाग के पदाधिकारी चुप्पी साध लेते है। मतलब साफ है की नियमितीकरण में काफी पेंच है।

संजय कुमार ने बताया की मुख्यमंत्री घोषणा तो कर रहे हैं परंतु मुख्यमंत्री के आदेश पर विभाग नियमावली में ऐसे पेंच लगाता है जिससे 15 वर्ष से भी अधिक समय से कार्य कर रहे कर्मियों के लिए राह आसान नहीं दिखती। मजबूरन कर्मियों को विरोध करने पर विवश होना पड़ता है।

सुनंदा जायसवाल और आनंद यादव ने संयुक्त रूप से बताया की अनुबंधकर्मियों को बिना किसी परीक्षा प्रणाली से गुजारे विभागीय प्रक्रिया अपनाते हुए सीधे समायोजित करने पर विचार करना चाहिए। आपातकालीन सेवा में रहकर कार्य करने वाले कर्मियों के लिए टाल मटोल की नीति उचित नहीं।आखिरकार इतने दिनों से वो विभाग में सेवा दे रहे हैं।

चंदन कुमार ने बताया की सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में हमारे स्वास्थ्यकर्मी कार्य करते है। खुद तंगी के हाल में रहने के बावजूद राज्य के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा का लाभ पहुंचा रहे हैं। एसोसिएशन के राज्य स्तरीय बैठक 11सितंबर को हो चुकी है जिसमें अनुबंध कर्मियों को बिना किसी परीक्षा की प्रक्रिया से गुजारे और क्वालीफाइंग मार्क्स की बाध्यता हटाते हुए सभी अनुबंधकर्मीं को समायोजित करने का प्रस्ताव पारित किया गया हैं।

मनोज कुमार ने बताया की विभाग में काफी रिक्त पद हैं जिसपर अनुबंधकर्मियों को विभागीय स्तर से ही समायोजन से संबंधित कारवाई की जा सकती है,उसके बावजूद नियमावली के संशोधन के नाम पर फाइल इधर उधर किया जा रहा है। अब सरकार के घोषणा पर खुद विभाग सवालिया निशान लगाकर मुख्यमंत्री की नियत पर पानी फेर रहा है।

मुख्यमंत्री को एसोसिएशन ने लिखा पत्र

ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन(AJPMA) ने लिखा पत्र

11 सितंबर को राज्य स्तरीय बैठक जिसमें सभी जिले के पदाधिकारी उपस्थित थे, संयुक्त रूप से प्रस्ताव पारित किया था और प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से नियमितीकरण की दिशा में विभागीय प्रक्रिया पर सवालिया निशान खड़ा किया था। जिस संबंध में विभागीय पदाधिकारी को जानकारी दी जा चुकी है।

क्या है मामला

वर्ष 2007 से ही विभाग में NHM अंतर्गत अनुबंध पर बिना किसी अन्य सुविधा के अल्प मानदेय पर कार्य कर रहे हैं। लगभग 15 वर्ष बीतने के बाद भी सरकार इन कर्मियों पर नियमितीकरण की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। कई बार आंदोलनों का दौर जारी रहा। कर्मियों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया। हर बार विभागीय आला अधिकारी आश्वासन देते हैं। आश्वासन देने के बाद भी समायोजन से संबंधित नीति पर बात नहीं की जाती। कर्मचारियों की आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने के बाद स्वास्थ्य विभाग को इसका खामियाजा उठाना पड़ता है।इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी के कानों में जूं तक नहीं रेंगती।

मुख्यमंत्री ने की है घोषणा

अनुबंध कर्मियों को नियमित करने से संबंधित घोषणा मुख्यमंत्री कई बार कर चुके हैं। संबंधित संचिका में प्रक्रिया शुरू करने की कारवाई तो की जाती है परंतु विभाग के लगाए पेंच से मुख्यमंत्री अनभिज्ञ रहते हैं।फिर जब एसोसिएशन के माध्यम से मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाई जाती है तो नए फरमान के आलोक में फिर विभाग उस पेंच को सुधारने की कार्रवाई करता है। उसके बाद फिर एक नया पेंच लगा दिया जाता है जो सीधे समायोजित करने की दिशा में बड़ी दीवार बन जाती है।

बहरहाल राज्य के अनुबंध कर्मी के लिए AJPMA का कड़ा रुख सरकार के लिए परेशानी पैदा कर सकती है। मालूम हो की वर्ष 2014 में एसोसिएशन ने अपने आंदोलन और कड़े तेवर के बदौलत ही राज्यभर के अनुबंधकर्मी को नियमित कराया था जो राज्यभर के लिए एक उदाहरण बनी थी। फिर से उस आंदोलन और तेवर की धमक विभाग में गूंजने की संभावना है।

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