नयी दिल्ली । छात्रों के लिए अच्छी खबर! अब रेगुलर डिग्री के बराबरडिस्टेंस या ऑनलाइन डिग्री की वैल्यू होगी।  विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission, UGC) का कहना है कि अब मान्यता प्राप्त संस्थानों से हासिल की गई डिस्टेंट लर्निंग और आनलाइन पाठ्यक्रमों की डिग्री को भी परंपरागत डिग्रियों के समकक्ष ही माना जाएगा।

यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा कि डिग्री विशिष्टता, 2014 पर यूजीसी की अधिसूचना के अनुरूप उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा ओपन और डिस्टेंस या ऑनलाइन माध्यम से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर दी जाने वाली डिग्री और डिप्लोमा को पारंपरिक शिक्षा माध्यम की डिग्री और डिप्लोमा के बराबर माना जाएगा।

उन्हें भी परंपरागत तीरके से परास्नातक डिप्लोमा कोर्सों और पत्राचार से होने वाले (कारास्पांडेंस) कोर्सों जितनी ही महत्ता मिलेगी। बताया जाता है कि आनलाइन या डिस्टेंट लर्निंग कोर्सों में कुल भारतीय छात्रों के 25 फीसद छात्र पंजीकृत होते हैं। इनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं जो नौकरी करते हुए यह पढ़ाई कर रहे होते हैं। रजनीश जैन ने बताया कि यह फैसला यूजीसी (मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम और आनलाइन कार्यक्रम) के नियमन के नियम 22 के तहत लिया गया है।  

हाल ही में आयोग ने और अधिक विदेशी छात्रों को आकर्षित करने व ऑनलाइन कोर्सेज में उनका दाखिला बढ़ाने के लिए यूजीसी ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम्स रेगुलेशन 2020 में बदलाव किया था। यह बदलाव तब किया गया जब विदेश मंत्रालय ने पाया कि पासपोर्ट की वैधता खत्म हो जाने या पासपोर्ट सब्मिट न करने की वजह से बहुत से विदेशी छात्रों के आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। 

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