रांची । शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश ने राज्य भर के प्राइवेट स्कूलों की नींद उड़ा दी है। अब इन स्कूलों को मान्यता खत्म होने का संकट मंडराने लगा है। इस आदेश के बाद प्राइवेट स्कूल के संघ ने इस आदेश को रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही ये बात भी सामने आ रही है कि आखिर प्राइवेट स्कूल रोने बच्चो, शिक्षक से संबंधित डाटा अपलोड करने का विरोध क्यों कर रही है।

क्या है मामला

आरटीई 2019 का हवाला देते हुए विभागीय सचिव के रवि कुमार ने राज्य के निजी स्कूलों को यूडायस पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों और विद्यार्थियों का पूरा ब्यौरा भरने को कहा है. साथ ही इसकी अवहेलना करने वाले निजी स्कूलों पर दंडात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है. विभागीय सचिव ने इसका कड़ाई से पालन कराने के लिए प्राथमिक शिक्षा के सहायक निदेशक कैलाश मिश्रा को नोडल पदाधिकारी मनोनीत किया है. शिक्षा सचिव के इस फरमान के बाद जिला स्तर पर अखबार के माध्यम से निजी स्कूलों को मान्यता प्राप्त करने के निर्देश दिए जा रहे हैं. झारखंड आरटीई 2019 और यूडायस के जटिल प्रावधान के कारण राज्य में चल रहे प्ले स्कूल सहित सभी छोटे बड़े निजी स्कूलों की मान्यता पर संकट पैदा हो गया है.

एसोसिएशन ने बताया तुगलकी फरमान

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन ने इसे शिक्षा विभाग का तुगलकी फरमान बताते हुए नाराजगी जताई है. प्रदेश अध्यक्ष आलोक दूबे ने कहा है कि यूडायस पोर्टल एक सॉफ्टवेयर है, जिसमें विधार्थियों, शिक्षकों के डाटा को भरना होता है, इस कार्य को पूरा नहीं करने पर निजी विद्यालयों को मृत्युदंड देने जैसी कारवाई की जा रहा है, जो कतई भी मान्य नहीं है. आरटीई के तहत संपूर्ण राष्ट्र में कहीं भी इस तरह की शर्त नहीं है, ऐसी स्थिति में सिर्फ झारखंड में आरटीई और यूडायस की कठिन शर्त रखी गई है, जिसका कोई भी निजी विद्यालय पालन नहीं कर सकता है.

डाटा अपलोड नहीं करने के पीछे कहीं साजिश तो नहीं

डाटा अपलोड नहीं करने के पीछे या इस आदेश का विरोध करने के पीछे कहीं कोई साजिश तो नहीं। सूत्रों की मानें तो इस ऐप पर डाटा अपलोड करने पर निजी स्कूलों की मनमानी पर विभाग नजर रख सकेगी। जिसका डर निजी स्कूल को सताने लगा है। और यही एक बड़ी वजह विरोध का है।

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