Digital screen Time Health Risks: 1घंटे से ज्यादा देखते हैं मोबाइल, इस भयानक बीमारी के हो सकते हैं शिकार

Digital screen Time Health Risks: बढ़ता स्क्रीन टाइम आजकल हमारी सेहत के लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक, सभी इसके शिकार होते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है, मोबाइल पर रील्स स्क्रॉल (Smartphone addiction effects) करने, वीडियो देखने या गेम खेलने की आदत के कारण लोग अक्सर बैठे या लेटे रहते हैं। इस तरह बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता के कारण कम उम्र में ही मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का ख़तरा बढ़ रहा है।
स्क्रीन टाइम (Screen Time) को दिमाग (brain) की सेहत और दूसरी शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी ज़िम्मेदार माना गया है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को मोबाइल या किसी भी डिजिटल स्क्रीन से दूरी बनाए रखने की सलाह देते रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हर उम्र के लोगों में रील्स देखने की लत तेज़ी से बढ़ रही है; इस आदत के कारण स्क्रीन टाइम में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसका आपकी आंखों पर गंभीर असर पड़ सकता है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में मायोपिया के मामले तेज़ी से बढ़ते देखे गए हैं।
(Digital screen Time Health Risks)मायोपिया क्या है?
मायोपिया, जिसेनिकट दृष्टिदोषभी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें आप पास की चीज़ें साफ़ देख सकते हैं, लेकिन दूर की चीज़ें देखने में परेशानी होती है। अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 30 सालों में बच्चों और किशोरों में मायोपिया के मामलों में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। साल 1990 में इसके कुल मामले 24 प्रतिशत थे, जो 2023 में बढ़कर 36 प्रतिशत हो गए हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया का ख़तरा पहले की तुलना में काफ़ी बढ़ा दिया है।
(Digital screen Time Health Risks)अध्ययन में पता चला खतरनाक सच
हाल ही में JAMA नेटवर्क ओपन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग दिन में एक घंटे से ज़्यादा स्क्रीन देखते हैं, उनमें समय के साथ इस बीमारी के विकसित होने का ख़तरा 21 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 45 अलग-अलग अध्ययनों का विश्लेषण किया। इसमें बच्चों से लेकर वयस्कों तक, 335 हज़ार से ज़्यादा प्रतिभागी शामिल थे। एक से चार घंटे तक स्क्रीन के संपर्क में रहने सेमायोपिया का ख़तराकई गुना बढ़ सकता है।
(Digital screen Time Health Risks)हर तीन में से एक बच्चा मायोपिया का शिकार
इससे पहले, ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया था कि दुनिया भर में हर तीन में से एक बच्चे में मायोपिया का पता चल रहा है। अगर इस बीमारी के बढ़ने की दर ऐसे ही जारी रही और बचाव के उपाय नहीं किए गए, तो अगले 25 सालों में यह समस्या दुनिया भर के लाखों बच्चों को प्रभावित कर सकती है। साल 2050 तक 40 प्रतिशत बच्चे इस आंखों की समस्या का शिकार हो सकते हैं।
कोरोना महामारी की नकारात्मक परिस्थितियों, जैसे लोगों का घर पर ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताना, बाहर खेल-कूद में कमी और ऑनलाइन क्लासेस के कारण, इस आंखों से जुड़ी बीमारी के मामले और भी बढ़ गए हैं।
(Digital screen Time Health Risks)स्क्रीन टाइम बढ़ने के नुकसान
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रीन टाइम बढ़ने के कई और गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहने से आंखों में जलन, खुजली, धुंधला दिखना और आंखों में दर्द जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
लगातार स्क्रीन पर समय बिताने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है।
सोशल मीडिया और वीडियो गेम आदि पर ज़्यादा समय बिताने से भावनात्मक अस्थिरता भी हो सकती है, जैसे ज़्यादा चिड़चिड़ापन, गुस्सा आदि। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन नामक हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है, जो नींद के चक्र को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी है।