वृंदावन में बनेगा कॉरीडोर! सरकार ने तोड़फोड़ के लिए की मार्किंग, HC ने सरकार से मांगी जानकारी

धर्म न्यूज । वृंदावन का प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में अब दर्शन का रास्ता सुलभ होने वाला है ? बांके बिहारी मंदिर जिस तरह से दर्शन के लिए मारा मारी होती है उसे देखकर दिल दहल जाता करती है। संकरी गली होकर निकलने वाले रास्ते में भक्तो की काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार चाहती है की एक कॉरिडोर का निर्माण किया जाय ताकि मंदिर प्रवेश का रास्ता सुलभ हो। परंतु इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके आशंका जताई गई है कि श्री बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण से क्षेत्र के कई प्राचीन मंदिरों के अस्तित्व को खतरा है। मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने याचिका पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।

याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता उत्कर्ष बिरला का कहना है कि प्रस्तावित कॉरिडोर के दायरे में मदन मोहन, राधावल्लभजी जैसे कई प्राचीन मंदिर आ रहे हैं जो पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हैं। कॉरिडोर बनाए जाने से इनके अस्तित्व को खतरा हो सकता है। इस पर कोर्ट का कहना था कि अभी तो यह सिर्फ प्रस्ताव के स्तर पर है। अधिवक्ता ने बताया कि कई मंदिरों में मार्किंग कर दी गई है और कुछ स्थानों पर तोड़फोड़ का काम भी शुरू किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर भी सुनवाई जारी है। इसमें विवाद इस बात पर है कि मंदिर का प्रबंध करने वाले सेवायत कॉरिडोर निर्माण के लिए मंदिर के फंड का उपयोग करने की अनुमति देने को तैयार नहीं है। जबकि राज्य सरकार कॉरिडोर का खर्च मंदिर को होने वाली आमदनी से करना चाह रही है। लंबे समय से जारी सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपस में बातचीत कर समाधान निकालने का भी अवसर दिया था लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला।

वर्तमान में मंदिर पक्ष इस बात पर सहमत है कि यदि सरकार उन्हें किसी अन्य स्थान पर 10 एकड़ जमीन वहां के सर्किल रेट पर उपलब्ध करा दे तो वह मंदिर दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर देंगे या फिर राज्य सरकार कॉरिडोर बनाने का खर्च स्वयं उठाए। कोर्ट ने जब इस बाबत राज्य सरकार से जानकारी मांगी तो सरकार की ओर से कहा गया अधिवक्ता कि इन दोनों प्रस्तावों पर सहमत नहीं है। इस मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

HPBL Desk
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