धनबाद। सिविल सर्जन भी डाक्टर ही होते हैं! सिविल सर्जन बनते ही मेडिकल अफसर की लिस्ट से कोई ऊपर नहीं हो जाता। धनबाद के सिविल सर्जन आलोक विश्वकर्मा और DRCHO संजीव कुमार का खुद को प्रशासनिक अधिकारी बताकर डाक्टर की ट्रांसफर लिस्ट से अलग रहने के मंसूबे पर विभाग ने पानी फेर दिया है। hpblnews.co.in ने दो दिन पहले ही एक खबर प्रकाशित कर धनबाद सिविल सर्जन और डीआरसीएचओ के तबादला विकल्प लिस्ट में नाम नहीं भेजने को लेकर सवाल खड़े हुए थे।

खबर का हुआ असर

hpbl.co.in की खबर के बाद विभाग के भी कान खड़े हुए, वहीं सचिवालय स्तर पर भी इस खबर की खूब चर्चा हुई। जिसके बाद अब शासन ने एक सख्त आदेश जारी कर 9 साल से ज्यादा वक्त से एक ही जिले में पदस्थ मेडिकल अफसर की एक लिस्ट जारी की है, उसमें धनबाद जिले से दो नामों को अंकित किया गया है। जिनमें धनबाद जिले से सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा और डीआरसीएचओ डॉ संजीव कुमार का नाम है। विभाग ने निर्देश में ताकीद दी है कि इन दो मेडिकल अफसर का नाम नहीं भेजा गया है, तबादला के लिए इनका विकल्प भेजा जाये।

ऐसा नहीं है कि प्रदेश में धनबाद से ही सिर्फ नाम नहीं भेजा गया है, बल्कि प्रदेश भर के 36 मेडिकल आफिसर और 6 स्पेशलिस्ट डाक्टरों ने पूर्व के आदेश की अनदेखी कर तबादला विकल्प नहीं भरा है। अब राज्य सरकार ने 10 तक सभी से तबादला विकल्प तलब किया है। राज्य सरकार के रूख से ये तो स्पष्ट हो गया है कि धनबाद सिविल सर्जन और DRCHO संजीव कुमार का भी तबादला तय है।

प्रशासनिक पद की गलत व्याख्या

दरअसल राज्य सरकार की तरफ से ये लिस्ट इसलिए जारी करनी पड़ी क्योंकि जब पिछली वार तबादले के लिए राज्य सरकार न 9 साल से ज्यादा वक्त से एक ही जिले में पदस्थ मेडिकल अफसरों, स्पेशलिस्ट, डेंटिस्ट की लिस्ट मांगी गयी थी, तो सिविल सर्जन आलोक विश्वकर्मा ने ये कहते हुए अपना नाम नहीं भेजा, कि वो सिविल सर्जन हैं, लिहाजा डाक्टरों की श्रेणी में नहीं आते, बल्कि उनका पद प्रशासनिक हैं। डॉ आलोक विश्वकर्मा ने सिर्फ अपना ही नाम लिस्ट से नहीं हटाया, बल्कि अपने करीबी DRCHO डॉ संजीव कुमार का भी पद प्रशासनिक बताते हुए उनका नाम नहीं भेजा।

प्रशासनिक पद वाले भी हैं चिकित्सक

लिहाजा विभाग को चिट्ठी जारी कर उन डाक्टरों, को ये बताना पड़ा कि भले ही उनकी जिम्मेदारी कुछ भी हो, उनका मूल पद मेडिकल अफसर का ही है। लिहाजा शासन स्तर से 36 मेडिकल आफिसर की जो लिस्ट जारी की गयी है, उनमें कई सिविल सर्जन, एसीएमओ, लेप्रोसी अफसर, टीबी अफसर जैसे पोस्ट पर काम कर रहे हैं, जाहिर है विभाग ने ये बताया है कि भले ही वो प्रशासनिक जिम्मा संभाल रहे हों, लेकिन ये समझना कि वो प्रशासनिक पद पर हैं, इसलिए मेडिकल अफसरों से अलग हैं, ऐसा नहीं है। जो लिस्ट राज्य शासन स्तर पर आयी है, उसके मुताबिक धनबाद जिले में सिविल सर्जन डॉ आलोक विश्वकर्मा को 14 साल और डीआरसीएचओ डॉ संजीव कुमार को करीब 13 साल पदस्थ हुए हो चुका है।

क्या कहता है आदेश

सरकार के अपर सचिव जयकिशोर प्रसाद की तरफ से जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गयाहै कि जो लिस्ट दी गयी है, उनका तो तबादला विकल्प भेजना ही है, लेकिन अगर किसी डाक्टर, स्पेशलिस्ट या डेंटिस्ट का नाम नहीं भी हो, लेकिन वो 9 साल से ज्यादा वक्त से एक ही पदस्थ हैं, उनका भी विकल्प भरवाकर राज्य सरकार को 10 जुलाई तक तलब किया है।

सिविल सर्जन और DRCHO का होगा तबादला

राज्य सरकार की तरफ से दोबारा से डाक्टरों की लिस्ट जारी कर तबादला विकल्प भरने की अनिवार्यता के बाद ये तो साफ हो गया है कि राज्य के अलग-अलग जिलों के वैसे 36 मेडिकल अफसर और 6 विशेषज्ञ डाक्टर, भले ही वो सिविल सर्जन या अन्य किसी भी विभागीय पदों पर क्यों ना हो, उनका भी तबादला पक्का है।

लिहाजा धनबाद के सिविल सर्जन और डीआरसीएचओ का भी तबदला होना तय कहा जा रहा है। सरकार के अपर सचिव जयकिशोर प्रसाद की चिट्ठी के मुताबिक विकल्पों के साथ सिविल सर्जन को सूची ये कहते हुए प्रमाणित करनी होगी, कि कोई भी वैसे डाक्टर का नाम जिले से नहीं छुटा है, जिनका एक जिले में पदस्थ हुए कार्यकाल 9 साल से ज्यादा हो गया है।

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