धनबाद । एक ओर बच्चों का स्वास्थ्य स्तर सुधारने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को पौष्टिक खाना उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयासरत है, वहीं जिले के आदिवासी बहुल इलाके टुंडी का एक ऐसा विद्यालय जहां पोष्टिक खाने की बात तो छोड़िए आपसी मतभेद के कारण बच्चों का मिड डे मिल दो हफ्ते से बंद है। ताज्जुब की बात ये है की जिले के आलाधिकारी की जानकारी के वावजूद कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।

दो सप्ताह बीत जाने के वावजूद मामले पर फेंका फेंकी की जा रही हो, प्रखंड से लेकर जिला के पदाधिकारी तक अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हो पर मध्यान भोजन का हर दिन डाटा भेजना अनिवार्य होता है। ऐसे में विभाग के पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। साथ ही जहां विद्यालय अच्छे संस्कार देने के लिए बनाए जाते है वहीं आपसी मतभेद से बच्चों के संस्कार पर कैसा प्रभाव डालेगा ये भी विचारणीय प्रश्न है। मामला जो भी मासूम बच्चों का निवाला बंद करने वाले किसी भी व्यक्ति या शिक्षक के कारनामे की उचित नहीं ठहराया जा सकता जिसकी जांच आवश्यक है।

क्या है मामला

विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और विद्यालय के प्रधान शिक्षक के मतभेद के कारण टुंडी प्रखंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय शीतलपुर के बच्चों का मध्यान भोजन का निवाला बंद है। विद्यालय के प्रधान शिक्षक शैलेन्द्र कुमार ने इसकी सूचना बीइओ व डीएसई को दी है परन्तु विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। इसका खामियाजा स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।

पिछले दो हफ्तों से मध्यान्ह भोजन बंद होने के कारण प्राथमिक विद्यालय शीतलपुर के बच्चे घर में जाकर खाना खाने को मजबूर हैं।ऐसी बात नहीं है कि मध्याह्न भोजन के लिए चावल उपलब्ध नहीं है।चावल उपलब्ध रहने के बावजूद पोषाहार की राशि बैंक से निकासी नहीं होने के कारण यह स्थिति हो गई है।

प्राथमिक विद्यालय शीतलपुर में कुल 78 बच्चे नामांकित हैं। पिछले दो हफ्तों से टिफिन की घंटी बजते ही बच्चे अपने अपने घर की ओर दौड़ पड़ते हैं। शनिवार को इसकी जानकारी लेने पर बच्चे स्कूल के किचन में पड़े खाली वर्तन को देखते है फिर मायूस निगाहों से बताते है की खाना खाने घर जा रहे हैं।

क्या कहते है प्रबंध समिति के अध्यक्ष

पूरे मामले पर विद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष राजेश राव ने कहा कि विद्यालय के प्रधान शिक्षक शैलेन्द्र कुमार के द्वारा मनमानी तरीके से स्कूल चलाया जा रहा है जिसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मेरे द्वार पैसे मांगने की बात बिल्कुल निराधार है। विद्यालय का हिसाब किताब मांगने पर उनके तेवर गर्म हो जाते हैं।

क्या कहना है प्रधान शिक्षक का

विद्यालय के प्रधान शिक्षक शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और माता समिति की संयोजिका ही मध्यान्ह भोजन का संचालन करते हैं।उन्हीं के संयुक्त हस्ताक्षर से ही पोषाहार की राशि की निकासी की जाती है। अध्यक्ष हर महीने पैसे की मांग करते हैं।

ग्रामीण ने बताया ये है वजह

इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय के प्रधान शिक्षक शैलेन्द्र कुमार और विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष राजेश राव के बीच आपसी मतभेद के कारण देश के भविष्य छात्रों का निवाला छीना जा रहा है और मध्यान भोजन ठप पड़ गया है।

क्या कहते हैं DSE और BEEO

मामले को लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक भूतनाथ रजवार इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की। कहा कि अगर ऐसी बात है तो इसकी जांच कराई जाएगी।

वहीं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मूरत महतो का कहना है कि विद्यालय प्रबंध समिति एवं सरस्वती वाहिनी माता समिति का पुनर्गठन करने की कारवाई की जा रही है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...