मुंबई। रिश्वतखोर अफसर को पकड़ने जा रही CBI टीम के साथ खेला हो गया है। दरअसल, जीएसटी के एक अफसर को घूसखोरी के मामले में सीबीआई पकड़ने जा रही थी। सीबीआई के कहने पर कारोबारी 25 लाख की रिश्वत देने के लिए तैयार हो गया और बैग में पैसे लेकर एक जगह पहुंच गया। वह अफसर का इंतजार कर रहा था, तभी बाइक पर दो लोग आए और बैग लेकर फरार हो गए। दोनों आरोपी अफसर के ही लोग बताए जा रहे हैं।

सीबीआई की टीम ने बाइक पर सवार दोनों का पीछा किया, लेकिन वह हाथ नहीं आए. उधर अफसर भी भाग निकला. घटना के 15 दिन बीत जाने के बाद भी सीबीआई की टीम अभी तक आरोपी अफसर और उसके दोनों साथियों को पकड़ नहीं पाई है। जानकारी के मुताबिक कारोबारी ने आरोप लगाया कि सेंट्रल जीएसटी सुपरिंटेंडेंट धीरेंद्र कुमार ने जेल में डालने की धमकी देकर एक करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी। व्यवसायी जितेंद्र लूनावत को 20 अप्रैल की रात करीब 8 बजे उनके दोस्त और सर्राफा व्यापारी अर्पित जगेतिया का वॉट्सऐप कॉल आया और बताया कि वह सेंट्रल जीएसटी की कस्टडी में हैं। अर्पित जगेतिया ने कहा कि सेंट्रल जीएसटी अधिकारी ने एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है और अगर पैसा नहीं दिया तो सेंट्रल जीएसटी उसे आज रात ही गिरफ्तार कर लेगी।

सेंट्रल जीएसटी सुपरिंटेंडेंट धीरेंद्र कुमार से बात की और जितेंद्र लूनावत से कहा कि पैसे आज ही मिल जाएंगे. तभी कुछ होगा। अंत में 50 लाख का सौदा हुआ, जिसमें आरोपी सेंट्रल जीएसटी सुपरिटेंडेंट धीरेंद्र कुमार अगले कुछ घंटों में 25 लाख देने और बाकी 25 लाख दूसरे दिन लेने को तैयार हो गया। इधर कारोबारी ने रिश्वत की जानकारी सीबीआई को दी। सीबीआई के मुताबिक, जितेंद्र लूनावत 25 लाख रुपये लेकर मौके पर पहुंचा, जहां अचानक एक बाइक सवार उसके पास आया और उससे पैसे ले गया।

बाइक के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर सीबीआई ने तलाश शुरू की और पाया कि पंजीकृत बाइक अमृतलाल शंखला की है। सीबीआई की एक अन्य टीम ने धीरेंद्र कुमार की तलाश में उनके घर पर छापा मारा, लेकिन न ही पैसे मिले और न ही अधीक्षक धीरेंद्र कुमार. सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में कहा है कि उन्होंने उस बाइकर का पता लगाना शुरू किया, जिससे 20 अप्रैल की रात को पैसे प्राप्त हुए थे।

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