नयी दिल्ली। महिला आरक्षण बिल संसद में पेश हो सकता है। विशेष सत्र के बीच कैबिनेट की अहम बैठक हुई। बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। ये बिल 27 सालों से पेंडिंग पड़ा है। इस बिल को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने आखिरकार इस बिल को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा।

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए।

आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं. इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। सूत्रों का दावा है कि मोदी कैबिनेट की बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी गई है. इसके साथ ही जानकारी सामने आई है कि महिला आरक्षण विधेयक 20 सितंबर यानी आगामी बुधवार को संसद में पेश किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने महिलाओं के लिए 33 फीसदी महिला आरक्षण को मंजूरी दी है.

सूत्रों ने बताया कि महिला आरक्षण विधेयक पास होने पर दिल्ली के आसपास के इलाकों से हजारों की तादात में महिलाएं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देने के लिए दिल्ली आ सकती हैं. दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर जो सांसद आए थे वो दिल्ली के आसपास (एनसीआर) के थे. सूत्रों के मुताबिक, सांसदों को दिल्ली के आसपास के संसदीय क्षेत्रों से महिलाओं को लाने की जिम्मेदारी दी गई है.

करीब 27 सालों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अब संसद के पटल पर आएगा. आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है. इस मुद्दे पर आखिरी बार कदम 2010 में उठाया गया था, जब राज्यसभा ने हंगामे के बीच बिल पास कर दिया था और मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था, जिन्होंने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का विरोध किया था. हालांकि यह विधेयक रद्द हो गया क्योंकि लोकसभा से पारित नहीं हो सका था.

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