रांची। स्कूलों में शिबू सोरेन की कहानी पढ़ायी जायेगी। (Shibu Soren Biography in School Syllabus) कैबिनेट की बैठक में ज्ञानोदय योजनान्तर्गत राज्य के सरकारी स्कूलों के लिए सुनो बच्चों, आदिवासी संघर्ष के नायक शिबू सोरेन (गुरू जी) की गाथा, दिशोम गुरु शिबू सोरेन एवं Tribal Hero Shibu Soren नामक पुस्तकों की खरीदी के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। कैबिनेट ने ये भी निर्णय लिया है कि खरीदी एवं वितरण मनोनयन के आधार पर मेसर्स प्रभात प्रकाशन, प्रा. लि. से की जायेगी। इसके लिए झारखण्ड वित्त नियमावली के नियम 235 के प्रावधानों को झारखण्ड वित्त नियमावली के नियम 245 के अधीन शिथिल किए जाने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

बता दें कि, शिबू सोरेन ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत सूदखोरी और महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन के साथ की थी. आदिवासियों को उन्होंने शोषण और अत्याचार के खिलाफ एकजुट किया. बाद में उन्होंने अलग झारखंड की लड़ाई के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा बनाई. उनकी अगुवाई में झारखंड अलग राज्य के लिए वर्षों आंदोलन चला. वो कई बार सांसद चुने गए, केंद्र में मंत्री भी रहे. उन्हें आदिवासियों ने ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि दे रखी है. पूरे राज्य में उन्हें गुरुजी के नाम से जाना जाता है।

हालांकि झारखंड (Jharkhand) में शिबू सोरेन की कहानी स्कूलों में पढ़ाये जाने की तैयारी काफी पहले से चल रही थी। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के कार्यकाल में भी शिबू सोरेन की जिंदगी से जुड़ी किताब को स्कूलों में पढ़ाये जाने का फैसला लिया गया था। हालांकि उस वक्त इस मामले में जमकर सियासी शोर भी मचा था। अब शिबू सोरेन की जीवनी को सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में शामिल करने की तैयारी पूरी हो गयी है। साल 2022 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री की तरफ से भेजे गये प्रस्ताव के मुताबिक झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन (Shibu Soren) के अलावे पार्टी के संस्थापकों में से एक रहे स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो (Binod Bihari Mahto) और स्वर्गीय निर्मल महतो (Nirmal Mahto) की जीवनी को भी अगले साल से पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही गयी थी। प्रस्ताव में कहा गया था कि इन नेताओं ने झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में बड़ी कुबार्नी दी है, इनके बारे में राज्य की नई पीढ़ी को अवगत कराने के उद्देश्य से यह कदम उठाया जाना जरूरी है।

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