रांची: हेमंत सरकार गुमला में पत्थलगड़ी करने वालों पर केस वापस लेगी। शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केस वापस लेने की फाइल पर अपनी मुहर लगा दी। मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद अब जल्द ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध और पत्थलगड़ी (Pathalgadi) करने वालों पर गुमला थाना में दर्ज कराये गये केस वापस लिये जायेंगे। आपको बता दें कि आज से 6 साल पहले 20 दिसंबर 2016 को सीएनटी- एसपीटी एक्ट में संशोधन को लेकर विरोध जताने र पत्थलगड़ी का समर्थन करने वालों पर गुमला थाना में कांड सं 421/2016 सीआर नं 1161/16 दर्ज कराया गया था। अब इस केस को वापस ले लिया जायेगा।

लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमे दायर किये गये थे, उन्हें वापस लेने से संबंधित गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रस्तावित संकल्प प्रारूप को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी स्वीकृति दे दी है। मुख्यमंत्री के इस फैसले से गुमला थाना अंतर्गत सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध करने एवं पत्थलगड़ी करने के क्रम में जिन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी, उन्हें अब राहत मिल सकेगी। इसमें कहा गया है कि झारखंड के आदिवासी समुदाय और गांव में विधि-विधान तथा संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (शिलालेख) की परंपरा पुरानी है।

आपको बता दें बता दें कि पत्थलगड़ी से मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशानुगत, पूर्वज और मरनी (मृत व्यक्ति) की याद को संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की परंपरा रही है। कई गांवों में अंग्रेजों या दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।

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