रांची। झारखंड की राजनीति में जो हालात हैं, उसने एक बड़ा सवाल ये खड़ा कर दिया है कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के बजाय कहीं सरकार ही ना बदल जाये? निशिकांत दुबे का हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन और भाभी सीता सोरेन के संपर्क में होने के दावे और देर शाम विधायक दल की बैठक से झामुमो के सात विधायकों की गैरमौजूदगी से ये सवाल खड़ा हो गया है कि कहीं महाराष्ट्र की तर्ज पर झारखंड में भी तो बीजेपी खेला नहीं कर देगी।

इससे पहले निशिकांत दुबे ये दावा कर चुके हैं कि सीएम सोरेन के भाई और भाभी ने उनसे बात की है। उन्होंने कहा कि सोरेन के भाई और भाभी इस बात से दुखी हैं कि JMM का गठन शिबू सोरेन और दुर्गा सोरेन ने किया था, लेकिन वह अपनी पत्नी को सीएम पद की जिम्मेदारी देना चाहते हैं। कोई भी इससे सहमत नहीं है। निशिकांत दुबे को मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने से दो कदम आगे बढ़ते हुए ये कह चुके हैं कि मैं राज्यपाल से संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत एक रिपोर्ट भेजने का अनुरोध करता हूं। मुझे लगता है कि झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का यह सबसे सही अवसर है।

सीएम हाउस में देर शाम हुई विधायक दल बैठक में बसंत सोरेन, सीता सोरेन, लॉबिन हेंब्रम, रामदास सोरेन, विकास मुंडा, चमरा लिंडा और रवींद्रनाथ महतो नहीं पहुंचे हैं। हालांकि विधायकों के नहीं आने की वजह पता नहीं चल पायी है, लेकिन ये जरूर चर्चाएं शुरू हो गयी है कि सोरेन परिवार कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री स्वीकार करने को तैयार नहीं है। जानकारी ये भी है कि सीता सोरेन दिल्ली में है। ऐसे में चर्चाओं और कयासों को बल मिलना तय हो गया है।

इधर, निशिकांत दुबे ने अपने एक्स अकाउंट से लिखा कि, “सूचना अनुसार कल्पना सोरेन (हेमंत सोरेन की पत्नी) को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री ने सूचना दी है कि ईडी के पूछताछ के डर से वे सड़क मार्ग से रांची पहुंचकर अपने अवतरित होने की घोषणा करेंगे।” निशिकांत दुबे ने कहा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इशारों पर गलत काम करने वालों को एक बड़ी नसीहत, जो मुख्यमंत्री खुद को भगौड़ा साबित कर रहा है, जांच एजेंसी का सामना करने से भाग रहा है, दिन-भर देश विदेश में बेइज्जती झेल रहा है। वह आदमी अधिकारियों का या राज्य के लोगों की क्या रक्षा करेंगे?”

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