पलामू (मेदनीनगर)। …. वो कहते हैं ना, दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है, लेकिन झारखंड के स्वास्थ्य विभाग को मुंह जलाने की आदत पड़ गयी है। विभाग के अफसरों को जिल्लत झेलने की इस कदर आदत पड़ चुकी है कि अब उन्हें ना तो अफसरों का खौफ है और ना ही व्यवस्था सुधारने की कोई फिक्र। ताजा मामला पलामू के मेदनीनगर का है, जहां ACS हेल्थ अरूण सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के खटराल हो जाने का नजारा खुद अपनी नजरों से देखा। मेदिनीनगर के पोखराहा खुर्द स्थित मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज व शहर में स्थित मेदिनीराय मेडिकल हॉस्पिटल के इंस्पेक्शन के दौरान , जब अपर मुख्य सचिव मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो वहां प्रशासनिक कार्यालय में ही तालाबंद मिला।

इंस्पेशन पर एसीएस के आने की सूचना होने के बावजूद 10 मिनट के इंतजार के बाद प्रशासनिक भवन का ताला खुला। हद तो तब हो गयी, जब प्रशासनिक भवन के भीतर गंदगी और कचरों का अंबार खुद एसीएस ने देखा। अव्यवस्था के इस नजारे को देख अपर मुख्य सचिव नाराज हो गये। उन्होंने कहा कि जब मेडिकल कॉलेज में ही इतनी गंदगी है तो अन्य अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों की क्या स्थिति होगी। उन्हें बताया गया कि सफाई की जिम्मेवारी आउटसोर्सिंग कर्मियों के भरोसे है। जिसके बाद एसीएस ने कहा कि आउटसोर्सिंग अपने आप में ही एक बड़ा घोटाला है।

नाराज दिखे अपर मुख्य सचिव, भुगतान रोकने का निर्देश

अरुण कुमार सिंह ने आउटसोर्सिंग के बहाने कम कर्मी को लगाकर अधिक कर्मियों के नाम पर पैसे कंपनी लेती है। रिनपास में 15 कर्मचारी काम कर रहे थे और कंपनी 100 कर्मियों के नाम पर पैसे ले रही थी। मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण करा रही सापूरजी कंपनी के कामकाज से अपर मुख्य सचिव नाराज दिखे। उन्होंने चीफ इंजीनियर को कंपनी के भुगतान रोकने का निर्देश दिया। भवन में दरवाजा, टेबल सब घटिया क्वालिटी का लगाया गया था, वहीं दीवार में सीपेज की शिकायत आ रही थी। इस मामले में कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होगी। कॉलेज के प्राचार्य से भी काफी नाराज दिखे, पूछे जाने पर प्राचार्य के द्वारा सही जानकारी नहीं दी जा रही थी।

फर्जी नाम पर लैब टेस्ट का खुलासा

निरीक्षण के दौरान अपर मुख्य सचिव ने कई स्तर की गड़बड़ियां पकड़ी। अस्पताल प्रबंधक सुनीत कुमार से व्यवस्था संबंधित रिपोर्ट नहीं दे सके। जिसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए अपर मुख्य सचिव ने कार्रवाई के निर्देश दिये। साथ ही वेतन मद की 50 प्रतिशत राशि काटने का निर्देश दिया। मेडाल कंपनी के लैब में उन्होंने बड़ी गड़बड़ियां पकड़ी। कंप्यूटर ऑपरेटर के पास लैब टेस्टिंग के रिकार्ड नहीं थे। कितने लोगों की लैब टेस्टिंग हुई, इसके जवाब में बताया गया कि 4 लोगों की जांच हुई, जब दिये मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो वो नंबर फर्जी मिला।

निरीक्षण के दौरान ये थे शामिल

निरीक्षण के क्रम में प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी, नगर आयुक्त समीरा एस, डीडीसी मेघा भारद्वाज, प्रशिक्षु आईएएस, गढ़वा के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार सिंह, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आरडी नागेश, अधीक्षक डॉ डीके सिंह, भवन निर्माण के चीफ इंजीनियर, हजारीबाग के प्राचार्य डॉ एस के सिंह भवन निर्माण निगम के मुख्य अभियंता संजय सिंह, पलामू सिविल सर्जन डॉ विजय सिंह सहित कई लोग शामिल थे.

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...