Katasraj Temple of Pakistan: नयी दिल्ली/इस्लामाबाद। महाशिवरात्रि की धूम है। इस खास मौके पर आपको भगवान शिव से जुड़ी एक बड़ी जानकारी दे रहे हैं। ये खबर पड़ोसी देश पाकिस्तान से हैं। पाकिस्तान भले ही 1947 में भारत से कटकर एक अलग देश बन गया लेकिन आज भी भारत की कई ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरें वहां मौजूद हैं। ऐसी ही एक धरोहर पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित कटासराज धाम मंदिर है। यहां के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव को समर्पित ये मंदिर 5000 साल पुराना है।

महाभारत काल से जुड़े इस मंदिर में हर साल सैकड़ों भारतीय हिंदू श्रद्धालु दर्शन करने के लिए जाते हैं। महाशिवरात्रि पर 112 हिंदू श्रद्धालुओं का जत्था शिवरात्रि के मौके पर कटासराज मंदिर में पूजा करने के लिए अटारी बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ। आपको बता दें कि विभाजन से पहले श्री कटासराज मंदिर के आसपास का क्षेत्र हिंदू बाहुल्य हुआ करता था। हालांकि, विभाजन के बाद स्थिति बदल गई और हिंदू विस्थापित हो गए। यहां पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान, तक्षशिला के अलावा अफगानिस्तान के हिंदू आकर माथा टेकते थे।

अमृत कुंड की कहानी है खास
श्री कटासराज मंदिर लाहौरा-इस्लामाबाद मोटर-वे पर चकवाल जिले में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास करीब 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां पर भगवान शिव का मंदिर है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब मां पार्वती सती हुईं तो भोलेनाथ के आंखों से आंसू की दो बूदें गिरी थीं। जिनमें से एक कटासराज तो दूसरी पुष्कर में गिरी थी। इसी आंसू से यहां पर पवित्र अमृत कुंड का निर्माण हुआ था।

इसी जगह गिरे थे भगवान शिव के आंसू

कटासराज मंदिर का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है। इस मंदिर परिसर में एक तालाब है, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये भगवान शिव के आंसुओं से बना हुआ है। कटास का अर्थ आंखों में आंसू होता है। कथा है कि जब सती की मृत्यु हो गई तो उनके विछोह में भगवान शिव इतना रोए कि दो कुंड भर गए। इनमें एक कुंड राजस्थान के पुष्कर में है, जबकि दूसरा कटासराज में स्थित है। कटासराज में अधिकतर मंदिर भगवान शिव को समर्पित करके बनाए गए हैं। हालांकि, कुछ मंदिर भगवान राम और हनुमान के भी हैं। परिसर में एक गुरुद्वारे के भी अवशेष हैं, जहां गुरुनानक ने निवास किया था।

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