रांची। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही पूरे देश की कमान अब इलेक्शन कमीशन के हाथों में आ गयी है। लिहाजा चुनाव के संचालन में जहां-जहां से गड़बड़ी की आशंका है, वहां-वहां एक्शन लिया जा रहा है। एक बड़ा एक्शन झारखंड के गृह सचिव अरवा राजकमल पर भी हुआ है, जिन्हें तुरंत पद से हटाने का आदेश चीफ सेकरेट्री को इलेक्शन कमीशन किया है। निर्वाचन आयोग ने झारखंड के साथ-साथ बिहार, यूपी, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गृह सचिव को भी हटाने का आदेश दिया है।

साथ ही मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव को भी हटाने का आदेश दिया गया है। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार को हटाने के लिए आवश्यक कार्रवाई भी की है। बता दें कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को 2016 में सूबे के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सक्रिय चुनाव ड्यूटी से हटा दिया था. इसके साथ ही बृहन्मुंबई नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल के साथ ही अतिरिक्त आयुक्त और उपायुक्त को भी हटा दिया गया है. इसके साथ ही मिजोरम और हिमाचल प्रदेश के जीएडी सचिव को भी हटा दिया गया है।

अब क्या होगा
दरअसल गृह सचिव अरवा राजकमल को हटाने के बाद ये अब लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा, कि अब आगे क्या होगा। गृह सचिव के पद पर किसी की नियुक्ति होगी या नहीं? नियुक्ति करेगा, तो कौन करेगा? आईये इन तमाम सवालों का जवाब आपको बता देते हैं। दरअसल जब भी आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग किसी अधिकारी को हटाता है, तो नियुक्ति करने का अधिकार भी इलेक्शन कमीशन को ही होता है। हटाने की सूचना या तो राज्य के चीफ सेकरेट्री को इलेक्शन कमीशन ने भेज दी होगी, या फिर लेटर भेजा जा रहा होगा। अगर ना भी भेजा गया हो, तो मीडिया और ट्वीट के जरिये राज्य सरकार तक ये जानकारी पहुंच ही गयी होगी, कि गृह सचिव को हटा दिया गया है। चुनाव आयोग का आदेश टालमटोल वाला नहीं होता है, ऐसे में वहां से जैसे ही आर्डर हुआ, तुरंत ही गृह सचिव को पद से हटा दिया जायेगा। इसके लिए किसी विशेष औपचारिकता की जरूरत नहीं होती है। अधिकारी चुनाव आयोग के निर्देश के बाद स्वयेव विरमित समझे जाते हें। चुनाव आयोग का आदेश अभी सुप्रीम होता है, जिसका आदेश हर हाल में किसी भी राज्य को मानना ही होता है।

कैसे होगी नयी नियुक्ति
चुनाव आयोग की तरफ आदेश और निर्देश के संदर्भ में पत्राचार, आचार संहिता के दौरान सीधे चीफ सेकरेट्री से होता है। चीफ सेकरेट्री को इलेक्शन कमीशन की तरफ से पत्र भेजा जायेगा, जिसमें कहा जायेगा कि गृह सचिव को पद से हटा दिया गया है, उन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटाकर गैर चुनाव कार्य में पदस्थ करें। साथ ही ये भी निर्देश दिया जायेगा कि गृह सचिव के पद के लिए तीन अधिकारियों का पैनल उन्हें भेजा जाये। साथ ही सभी अधिकारियों के बारे में रिमार्क भी राज्य की तरफ से चुनाव आयोग को भेजा जायेगा। मतलब उनकी पोस्टिंग कहां है, उनके उपर कोई आरोप तो नहीं है, उन्हें क्यों इस पद के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। उनकी सीनियरिटी कितनी है। चीफ सेकरेट्री चाहें तो खुद से भी इलेक्शन कमीशन को लिस्ट फारवर्ड कर सकते हैं या फिर राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के जरिये भी लिस्ट को भेजवा सकते हैं।

नामों को लौटा भी सकता है चुनाव आयोग
चीफ सेकरेट्री की तरफ से जो नामों का पैनल भेजा जाता है, उसको मानने की बाध्यता निर्वाचन आयोग की नहीं है। इलेक्शन कमीशन अगर उन तीन नामों से संतुष्ट नहीं है, तो वो नामों का पैनल (लिस्ट) दोबारा से भेजने का निर्देश चीफ सेकरेट्री को दे सकता है। अगर दूसरी बार में भी भेजी गयी लिस्ट से आयोग संतुष्ट नहीं होता है, तो फिर वो खुद भी IAS अफसरों की पूरी लिस्ट मंगा सकता है और फिर अपने हिसाब से अधिकारी की नियुक्ति कर सकता है। ये सिर्फ डीजीपी, गृह सचिव ही नहीं बल्कि उपायुक्त और पुलिस अधीक्षकों को भी हटाने से लेकर नयी नियुक्ति तक की प्रक्रिया में होता है।

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