Angioplasty Kya Hai: अमिताभ बच्चन को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कहा जा रहा है कि उनके पैर की एंजियोप्लास्टी की गयी है। अमिताभ बच्चन को मुंबई के प्रसिद्ध कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां शुक्रवार को उनकी एंजियोप्लास्टी सर्जरी हुई है। जब से अमिताभ बच्चन के तबीयत के बारे में फैंस को पता चला है, तभी से लोग जानना चाहते हैं कि आखिर उन्हें क्या बीमारी थी, जिसकी वजह से उनकी एंजियोप्लास्टी की गयी है।
आइये आपको हम विस्तार से बताते हैं। डाक्टरों के मुताबिक अमिताभ बच्चन को पैर में परेशानी थी जिसके चलते उनके पैर की एंजियोप्लास्टी करनी पड़ी। आपको बता दें कि हार्ट की तरह ही शरीर के दूसरे हिस्सों में ब्लॉकेज होने या फिर ब्लड फ्लो ठीक तरीके से नहीं होने पर एंजियोप्लास्टी की जाती है। एंजियोप्लास्टी सर्जरी से वक्त वाहिकाओं को चौड़ा किया जाता है जिससे ब्लड फ्लो सही से हो सके और क्लॉटिंग कम हो सके।

एंजियोप्लास्टी में एक मेडिकल बलून का उपयोग किया जाता है जो ब्लॉक धमनियों को चौड़ा करने का काम करता है। ये बलून धमनियों के अंदर के वॉल पर दबाव डालता है जिससे वो चौड़ी होकर खुल जाती हैं। इससे ब्लड फ्लो बेहतर हो जाता है। एंजियोप्लास्टी धमनी को फिर से सिकुड़ने से बचाती है। इसमे एक मेटर का स्टेंट डाला जाता है जो धमनियों को फिर से सिकुड़ने से बचाता है। हार्ट के अलावा इन अंगों की भी एंजियोप्लास्टी की जाती है।

हार्ट के अलावा इन अंगो की भी होती है एंजियोप्लास्टी
दिल मुख्य धमनी
कूल्हे या पेल्विस की धमनी
जांघ में धमनी
घुटने के पीछे की धमनी
पैर के निचले हिस्से की धमनी

क्या है पेरिफेरल आर्टरी डिजीज?
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) ऐसी कंडीशन होती है जब पैर और टांगों में जाने वाली ब्लड वेसल्स में रुकावट आने लगती है। आर्टरी के सिकुड़ने पर पैरों में खून की सप्लाई ठी से नहीं हो पाती है। इससे नर्व्स और दूसरे टिशूज को नुकसान हो सकता है।

पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के लक्षण
चलने पर पैर में दर्द
मांसपेशियों में दर्द
पैरों में ऐंठन
पैर सुन्न होना या कमजोरी
पैरों की त्वचा का रंग बदल जाना

एंजियोप्लास्टी कराने की जरूरत कब पड़ती है?
डॉक्टर्स की मानें तो रक्तधमनियों में ब्लड क्लॉट बनने से रक्त का प्रवाह सही से नहीं हो पाता है। शरीर में ब्लड क्लॉट बनने से रक्तधमनियों में ब्लॉकेज आने लगती है। अगर हार्ट की धमनियों में ये समस्या हो रही है तो इससे सीने में दर्द महसूस होता है। सासं लेने में परेशानी होती है। घबराहट और पसीना आने लगता है। अगर ऐसी स्थिति हो तो मरीज को तुरंत उपचार के लिए ले जाना चाहिए। लापरवाही बरतना जान के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

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