नई दिल्ली। आज के दिन देव उठानी एकादशी है। हिंदू मान्यताओं में आज के दिन तुलसी विवाह कराने की परंपरा है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे का सिंगार कर दुल्हन की तरह सजाया जाता है। कहा जाता है कि तुलसी विवाह करने से भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।

इस तरह करें तुलसी का विवाह

सबसे पहले तुलसी विवाह के लिए पौधों को खुली जगह पर रखें। विवाह के लिए मंडप सजाए। फिर तुलसी जी को लाल चुनरी ओढ़ाए, साथ ही पूरे श्रृंगार की चीजें उन्हें अर्पित करें। इतना करने के बाद आपको भगवान विष्णु के स्वरूप यानी कि शालिग्राम को रखें और उस पर तिल चढ़ाएं। अब शालिग्राम और तुलसी जी को दूध और हल्दी चढ़ाएं इसके बाद तुलसी माता को नारियल अर्पित करें। अब भगवान शालिग्राम का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी के पौधे के चारों तरफ सात फेरें लें। अंत में दोनों की आरती उतारे और विवाह संपन्न करें।

कन्यादान के बराबर मिलता है पुण्य पुण्य

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी के दिन जो भी तुलसी विवाह करवाता है और कन्यादान करता है, उसे बेटी के जितना कन्यादान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन सुहागन को ये विवाह जरूर करवाना चाहिए ऐसा करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

तुलसी विवाह की क्या है परंपरा

तुलसी को वृंदा नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार तुलसी ने भगवान विष्णु को श्राप दिया था जिस वजह से वे काले पड़ गए थे। तभी से शालिग्राम रूप में उन्हें तुलसी के चरणों में रखा जाता है। तभी से भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी मनुष्य देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह करवाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

गन्ना पूजन का क्या है महत्व

हिंदू धर्म में गन्ने को बहुत ही शुभ माना गया है। देवी लक्ष्मी की कई चित्रों में उनके हाथों पर गन्ना दिखाई देता है। गन्ना हाथी का भी प्रिय भोजन है। जो देवी लक्ष्मी का वाहन है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गन्ने का संबंध शुक्र ग्रह से है। शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से ही वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है और इस तरह का सुख मिलता है। तुलसी विवाह में मंडप बनाते समय केले के पत्ते और गन्ने का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है।

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