JAC 12th Topper Sneha: “बाधाएं आती हैं आएं…घिरें प्रलय की घोर घटाएं,पावों के नीचे अंगारे..सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों में हंसते-हंसते…आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा.” …पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कविता ये लाइनें झारखंड की साइंस टॉपर स्नेहा पर बिल्कुल सटीक बैठती है। इंटर की परीक्षा के पहले दिन पापा का एक्सीडेंट हो गया…दूसरे दिन दादाजी का निधन हो गया, एक तरफ पापा अस्पताल में, तो दूसरी तरफ दादाजी का अंतिम संस्कार…। इंटर की इस परीक्षा में स्नेहा ने ना सिर्फ प्रश्नों का ही जवाब नहीं दिया, बल्कि हालातों को भी जवाब दिया। स्नेहा के बुलंद हौसले के आगे हालात ने भी घुटने टेक दिये और फिर जब परिणाम की बारी आयी, तो स्नेहा का नाम टॉपरों की लिस्ट में सबसे ऊपर लिखा था।

जीं हां, हम बात कर रहे हैं रांची की स्नेहा की, जिसने 12वीं की परीक्षा में 98.2 प्रतिशत अंक लाकर साइंस में टॉपर बनने का गौरव हासिल किया। बेटी की कामयाबी बताते-बताते पिता रोने लगे। मुझे अपनी बेटी पर गर्व है, जिसने विपरीत हालात में मेरा सीना गर्व से ऊंचा कर दिया। राजधानी रांची की स्नेहा ने उर्सुलीन कान्वेंट स्कूल से 12वीं की है। स्नेहा ने अपने इंटरव्यू में बताया, पढ़ाई से ज्यादा चुनौतीपूर्ण उनके लिए वो हालात था, जिसमें पूरा परिवार ही गमों में डूबा था। पापा का परीक्षा के पहले दिन ही एक्सीडेंट हो गया था। दादाजी के देहांत के बाद तो पूरा परिवार ही अस्त व्यस्त हो गया।

गमों के बीच पढ़ाई उतनी नहीं हो पा रही थी। मन भी भटक रहा था, ऐसे में मां पिताजी का पूरा सपोर्ट रहा. एक दोस्त की तरह उन्होंने मुझे गाइड किया, यह रिजल्ट उसी का नतीजा है। स्नेहा के पिताजी सुनील कहते हैं, घर में हर तरफ रोने जैसी स्थिति थी, लेकिन फिर भी स्नेहा ने अपनी पढ़ाई में कोई आंच नहीं आने दिया और उस स्थिति में भी लगातार अपनी पढ़ाई को लेकर फोकस रही। स्नेहा बताती है मैंने जेईई पास कर लिया और फिलहाल एडवांस की तैयारी कर रही हूं। मेरा सपना है कि आईआईटी मुंबई से सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई करने का है।

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