जीतिया व्रत पर इस बार बन रहे हैं ये तीन खास संयोग, जानिये पूजा के शुभ मुहूर्त, कथा व पारण का समय

रांची। आज जीतिया त्योहार का उपवास है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखने की परंपरा है। इस व्रत को माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए बिना आहार और निर्जल रहकर करती है। नहाय खाय से शुरू होकर ये पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है।

सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद नवमी तिथि को भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उनके मंत्रों का जाप किया जाता है।

जितिया व्रत पर खास संयोग
इस बार जीतिया पर खास संयोग भी जुड़ रहा है। 6 अक्टूबर को शुक्रवार और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इस दिन की महत्ता और बढ़ गई है। शुक्रवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस योग में किए गए सभी पूजा-पाठ और कार्य शुभ फलदायी होते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत को महिलाओं के सबसे कठिन व्रतो में से एक माना जाता है। इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए यह व्रत करती हैं। इस व्रत को करने से संतान के जीवन में आने वाले सभी कष्ट दूर होते हैं। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत नहाए खाए के साथ होती है। दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है।

जितिया व्रत की पूजा का मुहूर्त
6 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शरू होगा और दोपहर 12 बजकर 33 मिनट पर खत्म होगा। वहीं ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 05 बजकर 28 पर खत्म होगा। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 6 अक्टूबर, सुबह 6 बजकर 34 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर होगी। जितिया व्रत करने वाले को 24 घंटे का निर्जला व्रत करना होता है। जितिया का पारण करने का शुभ मुहूर्त 7 अक्टूबर की सुबह 10.32 बजे के बाद है।

जितिया व्रत की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार जितिया व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी है. इस कथा के अनुसार जब महाभारत के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मार दिया था तो श्रीकृष्ण ने अपनी शक्तियों से एकबार फिर उस संतान को जीवित कर दिया. जन्म के बाद इसी पुत्र का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया था. माना जाता है कि इसके बाद से ही जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत को रखने की परंपरा शुरू हुई थी.

HPBL Desk
HPBL Desk  

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति की हो, खेलकूद की हो, अपराध की हो, मनोरंजन की या फिर रोजगार की, उसे LIVE खबर की तर्ज पर हम आप तक पहुंचाते हैं।

Related Articles
Next Story