नयी दिल्ली। इसी साल जुलाई में चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने कहा, ये अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी. दरअसल, इसरो के वैज्ञानिकों ने भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) के जरिए एक नेविगेशन उपग्रह NVS-01 को 29 मई को लॉन्च किया है. चंद्रयान -3 के प्रक्षेपण का एलान चंद्रयान -2 के लैंडर-रोवर के दुर्घटनाग्रस्त होने के चार साल बाद हुआ है। चंद्रयान-3 मिशन के जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा के उस हिस्से तक प्रक्षेपित होने की उम्मीद है, जो सूर्य की ब्रह्मांडीय किरणों से बचाकर काफी हद तक अंधेरे में रहा है।

एनवीएस-01 देश की क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली को मजबूत करेगा और सटीक व तात्कालिक नौवहन सेवाएं मुहैया कराएगा. चेन्नई से करीब 130 किलोमीटर दूर यहां स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबे तीन चरणीय जीएसएलवी रॉकेट को 27.5 घंटे की उल्टी गिनती समाप्त होने पर प्रक्षेपित किया गया. यह पूर्व निर्धारित समय पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर साफ आसमान में अपने लक्ष्य की ओर रवाना हुआ. Chandrayaan-3 को अंतरिक्ष यान में श्रीहरिकोटा से LVM-3 द्वारा लांच किया जाएगा। Chandrayaan-2 का ही अगला प्रोजेक्ट Chandrayaan-3 है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और वहां पर परीक्षण करेगा।

दूसरी पीढ़ी की इस नौवहन उपग्रह श्रृंखला को अहम प्रक्षेपण माना जा रहा है क्योंकि इससे नाविक (जीपीएस की तरह भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी और यह उपग्रह भारत एवं मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अपने लागत प्रभावी दृष्टिकोण के लिए जानी जाती है। उसने चंद्रयान -3 के साथ केवल एक लैंडर और एक रोवर लॉन्च करने का फैसला किया है, जिसका उद्देश्य नए चंद्र मिशन के लिए चंद्रयान -2 के ऑर्बिटर को फिर से तैयार करना है।

इसरो के सूत्रों के अनुसार अगर सब कुछ ठीक तरीके से चलता रहा तो जुलाई के दूसरे हफ्ते में Chandrayaan-3 को लॉन्च किया जा सकता है। इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ दिन पहले बताया था कि मार्च में Chandrayaan-3 को लॉन्च करने से पहले जरूरी परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने के दौरान कठोर कंपन और ध्वनिक वातावरण को संतुलित करने वाली क्षमता की पुष्टि कर दी गई थी। यह परीक्षण विशेष रूप से काफी महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण माने जाते हैं।

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