रांची । झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन के तेवर मंगलवार को तल्ख नजर आए और उन्होंने कुलपति और अधिकारी को सख्त हिदायत दे डाली। उन्होंने भ्रष्ट्राचार की पोल भी खोल दी साथ ही ये भी कहा की शैली में सुधार नहीं हुआ तो मेरा दूसरा रूप भी देखेंगे।राज्यपाल सह कुलाधिपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि झारखंड में कुलपति की नियुक्ति पूरी तरह से पारदर्शी व योग्यता के आधार पर होगी. मुझे पता है कि कुलपति की नियुक्ति के लिए पैसे भी लिये जाते हैं. झारखंड में अब ऐसा नहीं होगा.

राज्यपाल ने कहा की अगर मुझे ऐसी जानकारी मिली कि किसी ने कुलपति नियुक्ति के लिए पैसे लिये हैं, तो मैं उसे हटा दूंगा. राज्यपाल ने कहा कि कुलपति अगले कार्यकाल की बात करते हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें देखना चाहिए कि अब तक उनका योगदान क्या रहा है. आप सोचिए और योजना बनाइये. उन्होंने कहा कि मैंने अपने सचिव से कहा कि विवि से हर महीने फाइनेंशियल रिपोर्ट मंगाइये.

ये आइडिया मुझे जर्मनी से मिला. आज भ्रष्टाचार कैंसर के समान होता जा रहा है. किसी भी शिक्षण संस्थान में विकास के लिए भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण जरूरी है. राज्यपाल ने उक्त बातें मंगलवार को राज्य में उच्च शिक्षा के विकास में गुणात्मक परिवर्तन विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही. राजभवन की ओर से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि में हो रहा है. इस कार्यशाला में राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालय के कुलपति व अधिकारियों द्वारा उच्च शिक्षा के विकास के लिए तैयार विजन रिपोर्ट पर चर्चा की जानी है.

कार्य शैली सुधारे अन्यथा देखेंगे दूसरा रूप

राज्यपाल ने कहा कि मैं विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में भी जाऊंगा. वहां अपनी बात भी रखूंगा. मुझे आप सभी से रिजल्ट चाहिए. आपने एकेडमिक कैलेंडर बनाया है और उसका कितना पालन कर रहे हैं. अगले साल से अगर आप एकेडमिक कैलेंडर फॉलो नहीं करते हैं, तो आप मेरा दूसरा रूप देखेंगे.

बिल्डिंग पर नहीं गुणवत्ता का रखें ख्याल

राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार अन्य क्षेत्रों में कटौती करते हुए छात्रहित में विवि को उनकी आवश्यकता के अनुसार राशि उपलब्ध कराती है, ताकि विद्यार्थियों का भविष्य बन सके. यह विवि की जिम्मेदारी है कि इन राशि का उपयोग विद्यार्थियों के भविष्य संवारने में करें. वे बिल्डिंग नहीं, उपलब्धि पर ध्यान दें. आपका लक्ष्य अपने विवि को नेशनल नहीं, बल्कि इंटरनेशनल रैंकिंग दिलाना होना चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शांति निकेतन को देखिए, उसके पास बिल्डिंग नहीं है, लेकिन वहां से कई स्कॉलर निकले हैं. आपके पास बिल्डिंग और ऑडिटोरियम है, लेकिन उसका कितना योगदान है.

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