बालासोर। ओडिशा ट्रेन हादसे को लेकर मुसीबत खत्म नहीं हो रही है। अभी भी 80 से ज्यादा यात्रियों के शव की पहचान नहीं हुई है, जिसके वारिश को तलाशना रेलवे और स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है, तो दूसरी तरफ जिस स्कूलों में रेल हादसे के बाद शव को रखा गया था, उस स्कूल में बच्चे पढ़ने को तैयार नहीं है। स्कूल प्रबंध समिति ने इस स्कूल को गिराकर नये भवन की मांग की है।

स्कूल की समिति ने पहले सिर्फ 3 कक्षाओं में शव रखने की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में जिला प्रशासन ने पहचान के लिए शवों को खुले हॉल में रख दिया था। स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे के पिता सुजीत साहू ने बताया,’हमारे बच्चे स्कूल जाने से इनकार कर रहे हैं। बच्चों की मां भी उन्हें इस स्कूल में भेजने की इच्छुक नहीं हैं।

दरअसल हादसे के बाद ट्रेन हादसे के बाद घटनास्थल के पास वाले इलाके के एक स्कूल को अस्थायी तौर पर मुर्दाघर बनाया गया था। अब उस स्कूल में बच्चों ने जाने से इनकार कर दिया है। यह स्कूल बालासोर जिले के बहनागा गांव में है। बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन के पास ही 3 ट्रेनें हादसे का शिकार हुईं थी। हादसे के तुरंत बाद जब एक के बाद एक लाशें निकलने का सिलसिला जारी हुआ तो आनन-फानन में गांव के हाई स्कूल की बिल्डिंग को अस्थायी मुर्दाघर बनाया गया।

65 साल पुराने इस स्कूल में 100 से ज्यादा शवों को रखा गया था। अब स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने में घबरा रहे हैं। स्कूल प्रबंधन समिति का कहना है कि स्कूल की बिल्डिंग को गिरा दिया जाये। बहनागा हाई स्कूल की प्रधानाध्यापिका प्रमिला स्वैन ने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले छोटे बच्चे डरे हुए हैं. स्कूल ने बच्चों के मन से डर को निकालने के लिए ‘आध्यात्मिक कार्यक्रम’ आयोजित करने और अनुष्ठान कराने की योजना बनाई है. उन्होंने बताया कि स्कूल के कुछ सीनियर छात्र और एनसीसी कैडेट भी बचाव कार्य में शामिल हुए थे.

मामला सामने आने के बाद स्कूल और जन शिक्षा विभाग ने बालासोर के डीसी दत्तात्रय भाऊसाहेब को मौके पर जाने के निर्देश दिए थे। डीसी ने मौके पर स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों, प्रधानाध्यापिका और दूसरे कर्मचारियों के साथ स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की है। लेकिन फिलहाल बात नहीं बनी है।

इधर, बच्चों ने टीवी पर वह दृश्य देखा, जिसमें स्कूल की बिल्डिंग में रखे शवों को दिखाया गया था। इसके बाद अब बच्चे 16 जून से शुरू होने वाले स्कूल में आने से घबरा रहे हैं. हालांकि, शवों को भुवनेश्वर ट्रांसफर करने के बाद स्कूल परिसर को साफ कर दिया गया है। लेकिन, छात्र और अभिभावक दहशत में हैं। उनके लिए यह भूलना मुश्किल है कि स्कूल की इमारत में इतने सारे शव रखे हुए थे।

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