रांची कक्षा एक से बारहवीं तक के छात्रों का जाति प्रमाण पत्र विद्यालय में बनाने के फरमान जारी होने के साथ ही शिक्षकों का विरोध शुरू हो गया है। जिसको लेकर शिक्षक संगठन के तरफ से बयानबाजी जारी है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश का पुरजोर विरोध किया है। संघ ने शिक्षकों पर गैर शैक्षणिक कार्यों को लेकर कार्रवाई किए जाने को अनुचित बताया है। संघ के सदस्य इस मामले को लेकर जल्द ही मुख्य सचिव से मिलने की तैयारी में है और यदि मांगों पर विचार नहीं हुआ तो संघ विरोध में सड़क पर उतरने के लिए भी तैयार है।

नौनिहालों के भविष्य के साथ हो रहा है खिलवाड़

संघ के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य वक्ता नसीम अहमद ने कहा है कि कोरोना काल में दो वर्ष छात्रों का पठन-पाठन पूरी तरह से ठप रहा। इससे नौनिहालों को काफी नुकसान हुआ है। उसकी भरपाई करना अति आवश्यक है। शिक्षक इस कार्य में जी जान से लगे हुए हैं। इसके बाद भी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगा कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

जाति प्रमाण पत्र बनाना अंचल कार्यालय का काम

संघ के पदाधिकारी ने प्रारंभिक शिक्षकों से इस कार्य का जोरदार तरीके से बहिष्कार करने की अपील की है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों का कार्य छात्रों को पढ़ाना है। जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए अंचल कार्यालय, सीआई और कर्मचारी नियुक्त हैं। इस कार्य के लिए वह निपुण है। नियमावली और उनसे जुड़े पहलू की जानकारी उन्हें है। उनसे बेहतर शिक्षक नहीं जान सकते हैं।

शिक्षकों को मानसिक तौर पर परेशान करने वाला आदेश

संघ के पदाधिकारी ने कहा है कि यह कार्य सिर्फ शिक्षक को मानसिक रूप से परेशान करने वाला है। जाति प्रमाण पत्र बनाने का कार्य शिक्षकों का नहीं है। सब काम में शिक्षकों को ही घसीटा जा रहा है। इतना ही नहीं बात बात पर शिक्षकों का वेतन बंद कर जाता है। संघ ने धमकी दी है कि इस तरह के कार्य से अधिकारी बाज आए। सरकार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त करने की बात करती है और प्रशासन उन्हें गैर शैक्षणिक कार्य में उलझा कर रखना चाहता है।

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