सीता सोरेन या फिर उनकी बेटी …कौन लड़ेगा लोकसभा चुनाव ? JMM से पाला बदलने के गहरे हैं मायने, बेटी को राजनीति में सेटल करना चाहती है सीता सोरेन

रांची। सीता सोरेन के अगले कदम पर हर किसी की नजर है। मंगलवार को जिस नाटकीय अंदाज में उन्होंने इस्तीफा दिया और फिर भाजपा में शामिल हुई, उससे एक बात तो साफ है कि झारखंड की सियासत में अभी सरप्राइजिंग एपीसोड लंबा चलेगा। सिर्फ सीता सोरेन के इस्तीफे और भाजपा में शामिल होने तक ही बात नहीं रूकेगी, बल्कि इससे आगे भी जायेगी। सीता सोरेन अगर कुछ दिन पहले पार्टी में शामिल हुई होती, तो तय था कि पार्टी उन्हें दुमका से उम्मीद बनायेगी, लेकिन पहली लिस्ट में भाजपा ने दुमका से सुनील सोरेन को टिकट दे दिया है।

ऐसे में बीजेपी के भी प्लान पर हर किसी को नजर है। पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि सीता सोरेन को पार्टी टिकट देगी, लेकिन किस सीट से देगी, इस पर सस्पेंस बना हुआ है। भाजपा ने धनबाद और गिरिडीह के लिए अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किये हैं, ऐसे में चर्चा है कि इन्ही दो में से किसी एक सीट पर सीता सोरेन को लड़ाया जा सकता है। हालांकि चर्चा ये है कि सीता सोरेन के लिए सुनील सोरेन से दुमका सीट खाली भी करायी जा सकती है।

मंगलवार दिन भर ये भी चर्चा चलती रही कि सीता सोरने ने पाला खुद के लिए बदला है या फिर अपनी बेटियों के लिए। क्योंकि सीता सोरेन अब अपनी बेटियों को राजनीति में सेटल करना चाहती है। लिहाजा पार्टी से खुद के बजाय बेटी के लिए भी टिकट सीता सोरेन मांग सकती है। सीता सोरेन अपनी दोनों बेटियों को राजनीति में आगे करना चाहती हैं। साल 2021 अक्टूबर के महीने में दो बेटियों ने एक संगठन तैयार किया नाम रखा दुर्गा सोरेन सेना। इस कदम से ही उन्होंने राजनीति में कदम रखने के संकेत दे दिए।

बिजनेस मैनेजमैंट और विधि की पढ़ाई कर चुकी राजश्री सोरेन और जयश्री सोरेन ने उस वक्त कहा था कि हमारे दादा का आशीर्वाद हमारे साथ है। उन्होंने कहा, पिता का नाम दुर्गा सोरेन है और विजयादशमी के दिन उनके नाम पर सेना की स्थापना का उद्देश्य राज्य में भ्रष्टाचार, विस्थापन, जमीन की लूट समेत अन्य मसलों पर संघर्ष करना है। इन तीन सालों में दुर्गा सोरेन सेना की ज्यादा चर्चा नहीं रही लेकिन दोनों बेटियां सोशल मी़डिया पर एक्टिव रहीं। चंपाई कैबिनेट के गठन के समय भी सीता सोरेन की नाराजगी सामने आयी थी, तो सीता सोरेन ने अपनी बेटियों का जिक्र किया था।

ऐसे में चर्चा पूरजोर है कि सीता सोरेन ने अगर झामुमो से नाता तोड़ा है, तो उसके पीछे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से ज्यादा बेटियों का राजनीतिक भविष्य है। फिलहाज भाजपा की लिस्ट पर सब की नजर है कि पार्टी की प्लानिंग क्या है। वैसे कुछ लोग इस बात को लेकर भी अटकलें लगा रहे है कि आने वाले दिनों कैश फार वोट मामले में सीता सोरेन की मुश्किलें ना बढ़ जाये, इससे बचने के लिए ही सीता सोरेन ने अपना पाला बदला है।

HPBL Desk
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