रांची। झामुमो से अलग होते सीता सोरेन और कल्पना सोरेन आमने आ गयी है। सुबह कल्पना सोरेन ने दुर्गा सोरेन और हेमंत सोरेने के रिश्ते पर इमोश्नल कार्ड खेला, तो शाम होते-होते सीता सोरेन ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया। जेठानी-देवरानी के वाकयुद्ध से साफ है कि परिवार में टूट की वजह सीता सोरेन और कल्पना सोरेन के खराब रिश्ते थे। ये तो साफ हो ही चला था कि कल्पना सोरेन को पार्टी में जिस तरह से तवज्जों मिल रही है, वो सीता सोरेन को बर्दाश्त नहीं था, लिहाजा देर शाम सीता सोरेन ने जो ट्वीट किया, उसमें उसकी झलक दिख भी गयी।

सीता सोरेन ने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा है कि मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया। ईश्वर जानता है कि मैंने इस दौर में अपने बेटियों को कैसे पाला है। मुझे और मेरी बेटियों को उस शून्य में छोड़ दिया गया, जहां से बाहर निकल पाना हमारे लिए असंभव लग रहा था।

मैंने न केवल एक पति खोया, बल्कि एक अभिभावक, एक साथी और अपने सबसे बड़े समर्थक को भी खो दिया। मेरे इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है। यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक आवाज है। जिस झारखंड मुक्ति मोर्चा को मेरे पति ने अपने खून-पसीने से सींचा, वह पार्टी आज अपने मूल्यों और कर्तव्यों से भटक गई है।

मेरे लिए, यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा था। मेरा निर्णय भले ही दुःखदायी हो, लेकिन यह अनिवार्य था। मैंने समझ लिया है कि अपनी आत्मा की आवाज़ सुनना और अपने आदर्शों के प्रति सच्चे रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं समस्त झारखंडवासियों से अनुरोध करती हूं कि मेरे इस्तीफे को एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में।जाहिर है देवरानी-जेठानी के बीच चल रहे सोशल मीडिया वार से झामुमो और बीजेपी की सरगर्मियां तेज है। ऐसे में चर्चा ये भी है कि कहीं झामुमो की तरफ से कल्पना सोरेन को अगर पार्टी उतारती है तो कहीं उसके खिलाफ सीता सोरेन को बीजेपी ना उतार दे।

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