नयी दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री का सस्पेंस खत्म हो गया है। सिद्धारमैया ही कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री होंगे। चार दिनों की मश्क्कत और मैराथन बैठक के बाद आखिलकार मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग गयी। सिद्धारमैया कल सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। वहीं, डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद का ऑफर दिया गया है.।कल बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक भी होगी। सिद्धारमैया बुधवार को राहुल गांधी से मुलाकात करने पहुंचे. बताया जा रहा है कि डीके शिवकुमार भी राहुल से मुलाकात करेंगे।

क्यों मिला सिद्धारमैया को मौका


सिद्धारमैया कांग्रेस के कर्नाटक में सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं। वैसे सीएम पद के लिए डीके शिवकुमार से ज्यादा मजबूत दावेदार माना जा रहा था. सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक जीवन में 12 चुनाव लड़े, इनमें से 9 में जीत हासिल की। सिद्धारमैया सीएम रहे हैं. वे इससे पहले 1994 में जनता दल सरकार में कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री थे. उनकी प्रशासनिक पकड़ मानी जाती है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला भी नहीं है. जबकि डीके शिवकुमार के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं. वे जेल भी जा चुके हैं। सिद्धारमैया और डीके दोनों ही गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. सिद्धारमैया को 2008 में जेडीएस से कांग्रेस में लाने में मल्लिकार्जुन खड़गे की अहम भूमिका मानी जाती है. ऐसे में वे खड़गे के काफी करीबी बताए जाते हैं। सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक कर्नाटक के सीएम रहे. इस दौरान उन्होंने टीपू सुल्तान को कर्नाटक में नायक के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की. ऐसे में मुस्लिम समुदाय में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय (ओबीसी) से आते हैं. कर्नाटक में तीसरा बड़ा समुदाय है. इतना ही नहीं सिद्धारमैया राज्य के सबसे बड़े ओबीसी नेता माने जाते हैं. शिवकुमार की तुलना में सिद्धारमैया को ज्यादा बड़ा जननेता माना जाता है.

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