साहिबगंज| “एम्बुलेंस नहीं मिला, तो खाट पर टांगकर मरीज को पहुंचाना पड़ा अस्पताल” जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती एक ऐसी शर्मनाक घटना सामने आई है जिसे देखकर आप का सर शर्म से झुक जाएगा। लाख दावे करते रहें स्वास्थ्य विभाग के आलाकमान और सूबे के मुखिया की, आमजन तक सारी सुविधाएं पहुंचाने के लिए हमारी सरकार तत्पर है, परंतु मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र का ये हाल है तो अन्य जिलों का क्या कहना।

ये मामला तब उजागर हुआ जब बीमार सुखदेव पहाड़िया (45) को 35 किलोमीटर दूर खाट पर परिजन को लाना पड़ा। ना एम्बुलेंस मिला और ना ही कोई सुविधा…मीडिया में खाट पर मरीज ले जाते परिजनों की तस्वीर वायरल हुई तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।

साहिबगंज जिले के बोरियो के बीरबल कांदर के दुल्लेे पहाड़ क्षेत्र में रहने वाला सुखदेव पहाड़िया बीमार था। गंभीर स्थिति देखते हुए, परिजनों ने अस्पताल पहुंचाना चाहा, लेकिन ना तो गाड़ी थी और ना ही, एम्बुलेंस की सुविधा। ऐसे में परिजनों ने खाट के सहारे कंधे से टांगकर पर अस्पताल लाने को मजबूर हुए।

स्वास्थ्य सिस्टम को इस तरह खाट पर देख, लोग हैरान थे, सरकार को कोस रहे थे, सरकारी सिस्टम की दुहाई दे रहे थे, लेकिन कोई ऐसा नहीं था, जो गाड़ी से उसे अस्पताल पहुंचाता। करीब 35 किलोमीटर तक बरसात के दिनों में जंगल जंगल गुजरते हुए सुखदेव को अस्पताल तक लाया गया।

मरीज के साथ आई उसकी बहन बुधनी पहाड़िन व पत्नी सोमरी पहाड़िन ने बताया कि बीते कई दिनों से सुखदेव बीमार चल रहा था। गांव में ही स्लाइन चढ़ाया गया। ठीक नहीं होने पर सदर अस्पताल आना पड़ा। लेकिन यहां तक मरीज को लाने के लिए उन लोगों को 108 एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिली। पति को बहुत कमजोरी महसूस हो रहा थी। लगातार हिचकी आ रही थी। जब उन्हें सरकारी किसी तरह की सुविधा मिलने की आस नहीं दिखी तो खुद परिवारजन ने अपना हौसला बुलंद कर मरीज को खाट में कंधे पर टांग कर उसे अस्पताल तक पहुंचाया ।

क्या कहते हैं सदर अस्पताल के उपाधीक्षक

सदर अस्पताल साहिबगंज के उपाधीक्षक डॉ मोहन पासवान से जब इस बारे में पूछा गया उन्होंने कहा 108 एंबुलेंस की सुविधा निशुल्क है।मरीजों को एंबुलेंस क्यों नहीं मिली है जांच का विषय है। कई गांव ऐसे भी हैं जहां तक 108 पहुंचने की व्यवस्था नहीं। पूर्व सीएस डॉ बी मरांडी के समय पालकी एंबुलेंस की मांग की थी। जो अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है।एंबुलेंस नहीं मिलने का जांच की जा रही है।

सवाल यह नहीं कि मरीज को 108 एंबुलेंस क्यों नहीं मिली, सवाल यह है कि क्या 35 किलोमीटर के रास्ते में कहीं पर भी उसे 108 एंबुलेंस नहीं मिल सकती थी। यह अपने आप में जांच का विषय है? हो सकता है कि महज कुछ मीटर की दूरी पर या कुछ किलोमीटर की दूरी पर सड़क मिलते हो उस सड़क पर तो 108 की सुविधा मिल सकती थी। फिलहाल उनके परिजन ने जो कष्ट उठाया शायद यह कष्ट और परेशानी किसी को ना झेलना पड़े। झारखंड के स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सुविधा हर हाल में आम जन तक पहुंचाने का प्रयास करें।

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