बांका/लखीमपुर खीरी। सावन में शिक्षकों को अजीबोगरीब ड्यूटी मिल रही है। एक तरफ बिहार के बांका में जहां शिक्षकों को कांवड़ियों का मनोरजन करने की ड्यूटी में लगाया गया है, तो वहीं यूपी के लखीमपुर खीरी में शिक्षकों को कावंडियों के लिए वालेंटियर की ड्यूटी लगायी गयी है। उधर यूपी में शिक्षकों के तीखे विरोध के बाद अब उस अनिवार्य आदेश को बदलकर एच्छिक सेवा बता दिया गया है।

पहले बात करते हैं बिहार का…

बिहार के बांका में शिक्षकों को कावंड़ियों के मनोरंजन करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। यूं तो सरकार शिक्षकों को सरकार मल्टी टाइलेंटेड मानती है। जनगणना, मतगणना, पशुगणना, कोरोना जैसी ड्यूटी में तो लगाया ही जाता है, अब सावन में शिक्षकों को बिहार के बांका में कावंड़ियों के मनोरंजन की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। गुरूजी को गायन-वादन की जिम्मेदारी दी गयी है, ताकि कावंड़ियों की थकान मिट सके। दो दर्जन से ज्यादा हाईस्कूल के संगीत शिक्षकों की ड्यूटी कावंड़ियों के मनोरंजन के लिए लगायी गयी है। डायट में आडिशन के बाद सभी संगीत शिक्षकों की ड्यूटी लगायी गयी। सभी शिक्षकों को अलग-अलग कावंड़िया पथ में भेजा जायेगा। शिक्षक निर्धारित तिथि को वाद्ययंत्र के साथ मौजूद रहकर कांवरियों को हमसे भंगिया ना पिसाई गणेश के पापा… जैसे गीतों से मनोरंजन करेंगे।

दरअसल कांवरिया पथ पर हर साल प्रशासन की तरफ से सांस्कृतिक मंच बनाया जाता है, जिसमें आकाशवाणी और दूरदर्शन के कालाकार भाग लेते हैं। पहली बार हाईस्कूल के संगीत शिक्षकों को पढ़ाई छोड़कर कांवरियों की सेवा में लगा दिय गया है। संगीत शिक्षक 15 दिन तक इस मंच पर अपनी ड्यूटी देंगे।

शिक्षक करेंगे वालेंटियर की ड्यूटी

यूपी के लखीमपुर में शिक्षकों की ड्यूटी कांवड़ियों के गाइडेंस देने के लिए लगायी गयी है। इस मामले में बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से बकायदा सख्त आदेश भी जारी किया गया है। शिक्षक को सिपारी की तरह कावंडियों को गाइड करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। हर सोमवार शिक्षकों ये ड्यूटी करनी होगी। शिक्षक की ड्यूटी है वो कावंडियों को बकायदा गाइड की तरह रास्तों की और सुविधाओं की जानकारी देंगे। कुछ शिक्षकों की ड्यूटी ट्रैफिक प्वाइंट पर भी लगायी गयी है। लखीमपुर में 70 से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी लगायी गयी है। शिक्षकों को इस तरह की डयूटी में लगाने का विरोध भी शुरू हो गया है।

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