धनबाद ।…..वो कहते हैं ना, हौसले अगर चट्टानी हो, तो रास्ता, ना नदी रोक सकती और ना पहाड़ दीवार बन सकता है। जयघोष महासम्मेलन की तैयारी में पूरे प्रदेश के कर्मचारी जुटे हैं। जिला NMOPS की टीम घूम-घूमकर कर्मचारियों व शिक्षकों से 26 जून को महासम्मेलन के लिए रांची चलने का आह्वान कर रही है। कुछ लोग जाने को राजी हो रहे हैं, तो कई लोग सक्षम होते हुए शिरकत करने पर आनकानी कर रहे हैं। महासम्मेलन में आने को लेकर ना नुकूर करने वाले कर्मचारियों एक बार जरूर शिक्षिका सुषमा तिर्की के संघर्ष को पढ़ना चाहिये।

उत्क्रमित उच्च विद्यालय फतेहपुर टुंडी में पदस्थ सुषमा कैंसर से पीड़ित है। वेल्लोर में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर वो अब टुंडी लौट रही है। पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई की अगुवाई करती रही सुषमा बीमारी के बावजूद पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई से जुड़ी रही। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भी वो आंदोलन के बारे में जानकारी लेती रही।

हाल ही में वेल्लोर में उन्हें पांचवी कीमो थेरेपी दी गयी है। कीमो के बार वो टुंडी लौट रही है। अपनी बीमारी की परवाह किये बगैर सुषमा तिर्की ने ट्रेन से ही ऐलान कर दिया कि वो महासम्मेलन में शिरकत करने के लिए रांची जरूर पहुंचेगी। हालांकि जिला NMOPS की टीम ने उन्हें बार-बार तबीयत की दुहाई देते हुए घर पर आराम करने सलाह दी।

लेकिन, सुषमा तिर्की के जोश को देखते हुए आखिर NMOPS टी म को भी हार मानना पड़ा। सुषमा तिर्की 26 जून को रांची के महासम्मेलन में शामिल होने के लिए रांची पहुंचेगी। सुषमा का हौसला उन तमाम कर्मचारियों के लिए संदेश है, जो घर पर बैठकर पेंशन पाने की खुशी मनाना चाह रहे हैं। जिला NMOPS भी सुषमा तिर्की के हौसले को सलाम करते हुए कर्मचारियों के लिए एक मिसाल बता रहा है। एनएमओपीएस की तरफ से कहा गया है कि सुषमा तिर्की से ज्यादा मजबूरी किसी और की नहीं हो सकती। उन्हें डाक्टरों ने आराम करने की सलाह दी है, लेकिन वो कर्मचारियों की हक के लिए अपनी जान की परवाह किये बगैर रांची जा सकती हैं, तो फिर हर कर्मचारियों को जरूर सोचना चाहिये, कि वो पुरानी पेंशन की बहाली में कैसी सहभागिता निभाना चाहते हैं।

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