नायब रामा पहाड़िया की रिहाई, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस, पहाड़िया युवक को वनरक्षी बनाने सहित अन्य मांग पर वन विभाग का किया घेराव
पाकुड़। जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड मुख्यालय स्थित वन विभाग कार्यलय का घेराव शुकवार को अखिल भारतीय आदिम जनजाति विकास समिति झारखंड के हिल एसेम्बली पहाड़िया महासभा झारखंड के बैनर तले किया गया।वही जेल में बंद नायब रामा पहाड़िया की रिहाई की मांग को लेकर अमड़ापाड़ा वन प्रक्षेत्र कार्यालय के खिलाफ प्रखंड के आदिम जनजाति समुदाय के लोग गोलबंद हुए।
वही घेराव में बड़ी तादाद की संख्या में महिलाएं एवं पुरुषों की एक बड़े जन सैलाब के साथ पारंपरिक हथियारों को लेकर इस समुदाय ने स्थानीय वन प्रक्षेत्र कार्यालय परिसर के समक्ष अपना कड़ा विरोध प्रदर्शन किया।वही हिल एसेम्बली पहाड़िया महासभा महासचिव सह केंद्रीय अध्यक्ष सह भाजपा नेता शिवचरण मालतो व हिल एसेम्बली के अन्य पदाधिकारी मोतीलाल पहाड़िया , जबड़ा पहाड़िया,जॉइंट सेक्रटरी डेविड मालतो, कमलेश पहाड़िया, चंद्रिका देहरिन के नेतृत्व में रैली की शक्ल में चल रही बड़ी भीड़ यहां धरने में तब्दील हो गई।
सभी ने एक स्वर में वन विभाग होश में आओ, रामा पहाड़िया को रिहा करो ,हिल एसमबली पहाड़िया महासभा जिंदाबाद,जंगल- पहाड़ में खेती करना नहीं छोड़ेंगे, पहाडियाओं का शोषण बंद करो इत्यादि नारे लगा रहे थे।वही वन विभाग घेराव में पहुँचे वक्ताओं ने एक - एक कर वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाई।व क्षेत्र में किए गए अथवा किए जा रहे विभागीय कार्यों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई.
कहा कि विभाग की मौन सहमति से दशकों से जंगलों और पेड़ों की कटाई होती रही है। वनकर्मियों ने वन माफियाओं को संरक्षण दिया । पहाड़िया जो जंगलों पर निर्भर हैं। हम जंगल - पहाड़ के रक्षक भी हैं। जंगल और पहाड़ ही हमारा ठिकाना है। जिनके पास खेती योग्य भूमि नहीं है। उन्हें पहाड़ और वन भूमि पर खेती कर जीवन - यापन का जन्म सिद्ध अधिकार प्राप्त है। हम मूलवासी हैं। अपने पूर्वजों से चली आ रही व्यवस्था के तहत अगर किसी ने वन भूमि पर आजीविका के लिए खेती कर ली तो कौन सा अपराध किया।
उस पर केस तथा जेल में डालना सरासर गलत है। हमलोग पहाड़ और वन भूमि पर खेती नहीं छोड़ेंगे चाहे जितना लंबा संघर्ष करना पड़े। जबतक रामा पहाड़िया की रिहाई और अन्य पांच पर मुकदमा वापस नहीं हो जाता है तबतक आंदोलनरत रहेंगे। पहाड़िया बुद्धिजीवियों ने यह भी कहा कि अगर इस समुदाय का कोई व्यक्ति अराजक हो जाता है। कानून - व्यवस्था में व्यवधान पैदा करता है तो उसपर शख्त कार्रवाई हो। चूंकि, कानून सबके लिए बराबर है।हां , अगर निर्दोष पहाड़िया शोषित होता है तो हमलोग यहां से दिल्ली तक लड़ने को तैयार हैं।
जेल में बंद नायब रामा पहाड़िया की रिहाई तथा पांच किसानों पर दर्ज अवैध मुकदमे की वापसी , पहाड़ों - जंगलों में कुरवा खेती के पहाड़िया अधिकार को बरकरार रखने अथवा उनके आश्रितों को नौकरी देने सहित राजमहल के पहाड़ों - जंगलों , खनिज - संपदाओं की रक्षा के लिए पहाड़िया युवकों को वनरक्षी में बहाल करने , सुरक्षित वन क्षेत्र में किन-किन वर्षो में कितने पौधारोपण हुए कितने पौधे मौजूद हैं।