नई दिल्ली। राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे। लोकसभा ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी है। लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को उन्हें अयोग्य करार दे दिया. राहुल गांधी को गुजरात की अदालत ने साल 2019 के ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में दोषी करार दिया था. उनको दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया है। अब उनकी संसद की सदस्यता खत्म हो गई है, लेकिन राहुल के लिए बड़ा झटका यह है कि वह 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, जिस क्षण किसी संसद सदस्य को किसी भी अपराध में दोषी करार दिया जाता है, और कम से कम दो साल कैद की सज़ा सुनाई जाती है, वह संसद सदस्य रहने के लिए अयोग्य हो जाता है।

इस कानून की धारा 8(4) में यह भी कहा गया है कि दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्यता तीन महीने बाद ही प्रभावी मानी जाती है. हालांकि 2013 में इस धारा को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. इसका मतलब हुआ कि सिर्फ अपील दाखिल करने से कुछ नहीं होगा. सजायाफ्ता सांसद को ट्रायल कोर्ट की सजा के खिलाफ स्थगन का एक विशिष्ट आदेश सुरक्षित करना होगा।

इससे पहले 10 जुलाई, 2013 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में ये फैसला सुनाया था कि कोई भी संसद सदस्य (सांसद), विधानसभा सदस्य (विधायक) या एक विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य जो एक अपराध का दोषी है और न्यूनतम दो साल की कारावास की सजा दी गई है, वो तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, सूरत कोर्ट के फैसले के आधार पर लोकसभा सचिवालय राहुल गांधी को अयोग्य घोषित कर उनकी संसदीय सीट को रिक्त घोषित कर सकता है. इसके बाद निर्वाचन आयोग इस सीट पर विशेष रूप से चुनाव की घोषणा करेगा।

जानिए क्या जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधान

दरअसल भारत में सांसद-विधायकों के लिए जनप्रतिनित्व कानून है। इस कानून के तहत यदि किसी भी सांसद और विधायक को किसी भी मालमे में दो साल से अधिक की सजा हुई तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। साथ ही सजा की अवधि पूरी किए जाने के बाद से 6 साल तक वह शख्स चुनाव नहीं लड़ सकता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में बना। लेकिन बाद में इसे संशोधित कर और सख्त किया गया।

ऊपरी अदालत स्टे लगा देती है तो नहीं जाएगी सांसदी

मोदी सरनेम वाले मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत उनकी सांसदी पर भी खतरा आ गया है। हालांकि यदि ऊपरी न्यायालय द्वारा यदि इस सजा को निलंबित कर दिया जाए तो राहुल गांधी की सांसदी बरकरार रहेगी।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर किसी को दो साल या उससे अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो वह व्यक्ति कारावास की अवधि और छह साल की अवधि के लिए अयोग्य हो जाता है।

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