रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सभी विभागों में दी जाने वाली पदोन्नति पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में कार्मिक विभाग और डीजीपी को जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने गुरुवार को श्रीकांत दुबे और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। अदालत ने प्रोन्नति के संबंध में कार्मिक विभाग के 3 जून 2022 और डीजीपी के 23 जून 2022 के उस आदेश पर भी रोक लगा दी, जिसमें प्रोन्नति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है।

प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने अदालत को बताया कि प्रार्थी पुलिस विभाग में एएसआई हैं। इनके एसआई में प्रमोशन के लिए डीजीपी ने आदेश जारी किया है। डीजीपी ने यह आदेश कार्मिक विभाग के आदेश के आलोक में जारी किया है। डीजीपी ने अपने आदेश में एएसआई से एसआई में प्रोन्नति प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा है। पर इसमें कहा गया है कि एससी, एसटी के वैसे उम्मीदवार जो प्रोन्नति के लायक हैं, उन्हें भी सामान्य श्रेणी में प्रोन्नति दी जाएगी।

ऐसे देना है आरक्षण


कार्मिक विभाग ने बताया है कि प्रोन्नति के क्या नियम होंगे। यदि प्रशासनिक सेवा में एसडीओ या समकक्ष पदों पर 50 प्रोन्नति होनी है तो एक से 50 तक की सूची में 32 अनारक्षित, पांच एससी व 13 एसटी सीटें होंगी।वरीयता कम्र में अगर एसटी या एससी कर्मी 1 से 32 में आता है तो उसे अनारक्षित श्रेणी में पदोन्नति मिलेगी।

क्या है सरकार के आदेश में


सरकार के आदेश में जिक्र है कि एसटी-एससी के सरकारी सेवकों को अनारक्षित बिंदू पर पदोन्नत करने समय यह देखा जाना जरूरी नहीं कि नियुक्ति मेधा के आधार पर हुई थी या आरक्षण के आधार पर। सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के 2002 के आदेश को आधार माना है।

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