रांची। झारखंड के सीनियर IAS अरुण कुमार सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है। CBI पत्र लिखकर डीओपीटी से मुकदमे की अनुमति मांगी है। मामला 2005 में उषा मार्टिन को माइंस आवंटन में हुए भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। अरुण सिंह उस वक्त तत्कालीन खान सचिव थे। DOPT से अनुमति मिलने के बाद अरुण कुमार सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जा सकता है। ब्यूरोक्रेसी में इस खबर के बाद हड़कंप मचा हुआ है।
इस संबंध में सीबीआई ने राज्य सरकार के साथ पत्राचार किया है।

जानकारी के मुताबिक घाटकुरी लौह अयस्क खदान आवंटन में व्याप्त भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई कार्रवाई की तैयारी में है। यह माइंस पश्चिम सिंहभूम जिला में है। साल 2005 में माइंस का आवंटन हुआ था। यह माइंस उषा मार्टिन को आवंटित हुआ था। इस मामले में वरीय आईएएस अरुण सिंह और तत्कालीन खनन निदेशक इंद्रदेव पासवान समेत तीन को आरोपी पाया गया है।

अन्य तीन लोगों में ऊषा मार्टिन कंपनी के प्रबंधन के लोग शामिल हैं. वर्तमान में अरुण कुमार सिंह झारखंड में मुख्य सचिव रैंक के आइएएस अफसर है। वहीं इंद्रदेव पासवान बिहार कैडर में अपनी सेवा दे रहे है।

उस समय अरुण कुमार सिंह खनन विभाग के सचिव थे। इसकी शिकायत पर सीबीआई की दिल्ली इकाई ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत में 220/2016 में एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी। प्राथमिकी में उषा मार्टिन के प्रमोटरों और खनन विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था। बताया गया था कि राज्य सरकार की तरफ से अधिकारियों ने कथित रूप से उषा मार्टिन के पक्ष में पक्षपात किया था। इस मामले में सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है।जांच के बाद सीबीआई ने अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्णय लिया है।

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