रायपुर। पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने वाले जवान को अब नौकरी नहीं मिल पायेगी। हाईकोर्ट के फैसले को बर्खास्त जवान ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उसे राहत नहीं मिली है। दरअसल छत्तीसगढ़ के एक पुलिस कांस्टेबल के सरकार से इजाजत बगैर दूसरी शादी करने पर राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया था।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की खंडपीठ ने जनवरी, 2020 में पारित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। साथ ही कहा कि सजा के तौर पर सेवा से बर्खास्त करने का फैसला ‘महतारु बधाई’ की याचिका पर लिया गया था। कांस्टेबल ने सिविल सेवा आचरण नियमों की धारा 22 के पैरा एक और दो का उल्लंघन किया था।

सिविल सेवा आचरण नियमों के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी पत्नी के जीवित रहते सरकार से अनुमति लिए बगैर शादी नहीं कर सकता है। उल्लेखनीय है कि पुलिस में बतौर कांस्टेबल नियुक्त हुए व्यक्ति ने अपने सेवा रिकार्ड में नामिनी के तौर पर अपनी दूसरी पत्नी और नाबालिग बच्चे का नाम दर्ज कराया था।

कांस्टेबल ने अपने आवेदन में कहा था कि उसकी पहली शादी 2005 में हुई थी, लेकिन जब कई सालों तक कोई संतान नहीं हुई तो उसकी पत्नी ने उसे दूसरी शादी की अनुमति दे दी। उसके बाद ही उसने दूसरी शादी की और उसकी अब एक बेटी है।

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