निजी गाड़ियों से अस्पताल पहुँचने की मरीज़ों की मजबूरी, नही मिल पा रहा वक़्त पर एम्बुलेंस.. कौन है जिम्मेदार

झारखंड: राज्य में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के साथ साथ रेफरल सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए 1 साल से भी अधिक समय पहले सरकार ने 206 एम्बुलेंस खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन आज तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। राज्य में फिलहाल 108 इमरजेंसी सर्विस के तहत 337 एंबुलेंस संचालित है। 2011 की जनगणना के आधार पर एक लाख की आबादी के लिए एक एंबुलेंस की सुविधा दी गई है ।दूर-दराज के क्षेत्रों में बड़ी गाड़ियों के लिए सही सड़क नहीं होने के कारण मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

बीते साल कोरोना की तीसरी लहर आने सेसे पूर्व मरीजों को त्वरित स्वास्थ सुविधा पहुंचाने एवं रेफरल सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने 89 एंबुलेंस खरीदने का निर्णय लिया था ।इसके तहत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एएलएस (एडवांस लाइफ सपोर्ट) टाइप की 25, बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) कि 40 एवं बच्चों के लिए एडवांस लाइफ सपोर्ट की 24 एंबुलेंस खरीदने का निर्णय लिया गया था ।इसके लिए बीते साल सितंबर में ही 28 करोड़ रूपये भी आवंटित कर दिए गए थे। खरीदने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को दी गई थी ।इसके तहत एडवांस लाइफ सपोर्ट की एक एंबुलेंस 35 लाख, एएलएस की नियोटेल एंबुलेंस 31 लाख में ,जबकि लाइफ सपोर्ट की एक एंबुलेंस 26लाख में खरीदी जानी है।

उक्त 89 एंबुलेंस के अतिरिक्त वित्तीय वर्ष 2020- 21 में स्वास्थ्य विभाग में 117 एंबुलेंस खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी ।इसमें बेसिक लाइफ सपोर्ट कि 91 एवं एडवांस लाइफ सपोर्ट की 26 एंबुलेंस खरीदी जानी है ।इसके लिए 29.4454 करोड़ रुपए पूर्व में ही आवंटित किए जा चुके हैं ।बीते लगभग 2 वर्षों से तो 17 में चल रही है यह जिम्मेदारी भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को दी गई है

HPBL Desk
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