Padmini Ekadashi 2023 kab hai: इस बार सावन माह की पद्मिनी एकादशी इस साल 29 जुलाई को है। इस बार के एकादशी पर ज्योतिष के मुताबिक कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं, क्योंकि सावन माह में इस साल अधिक मास भी है और अधिक मास में भी भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा आराधना की जाती है। पद्मिनी एकादशी हमेशा अधिकमास में आती है। अधिकमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पद्मिनी एकादशी को अधिकमास एकादशी, पुरुषोत्तमी एकादशी या मलमासी एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कमला एकादशी व्रत करने से संतान, यश और वैकुंठ की प्राप्ति होती है। इस दिन घर में जप करने का एक गुना, गौशाला में जप करने पर सौ गुना, पुण्य क्षेत्र तथा तीर्थ में हजारों गुना, तुलसी के समीप जप-तथा जनार्दन की पूजा करने से लाखों गुना, शिव तथा विष्णु के क्षेत्रों में करने से करोड़ों गुना फल प्राप्त होता है।

इस बार पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई यानी शनिवार को रखा जाएगा. अधिकमास में पड़ने के कारण इस एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. भगवान विष्णु को समर्पित अधिक मामस में तो इस व्रत का महत्व और भी ज्यादा होता है. इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु आपकी हर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन अगर उनके कुछ मंत्रों का जप किया जाए तो समस्त कष्टों से निवारण मिलता है. उपासक को शीघ्र फल मिलता है. धन की प्राप्ति होती है।

इस मंत्र का करें जाप

ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:

आर्थिक रूप से हैं परेशान, तो ये मंत्र करें जाप

अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो आपको एकादशी तिथि को श्री हरि विष्णु के इस मंत्र का जप करना चाहिए…
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

पूजा विधि
इस दिन समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता क्षीरसागर में शेषनाग शैया पर विराजमान भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करनी चाहिए। पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान रखें एवं इस पर जल कलश स्थापित कर इसे आम या अशोक के पत्तों से सजाएं। तत्पश्चात भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर पीले पुष्प,ऋतुफल,तुलसी आदि अर्पित कर धूप-दीप व कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें। इस दिन विष्णुजी के मंदिर एवं तुलसी के नीचे दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन हरि भक्तों को परनिंदा,छल-कपट,लालच,द्वेष की भावनाओं से दूर रहकर श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए यथाशक्ति विष्णुजी के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करना चाहिए।

पद्मिनी एकादशी व्रत कथा
त्रेतायुग के समय महिष्मती पुरी राज्य में एक कीर्तवीर्य नाम का एक राजा था। राजा की 1000 रानियां थी। लेकिन, उन सभी में से किसी को भी पुत्र नहीं था। जो कि राजा का राज्य संभाल सके। इस बात को लेकर राजा बहुत चिंतित रहता था। राजा ने देवता, पितृ, सिद्ध और अनेक चिकित्सकों आदि से राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी प्रयत्न किए थे। लेकिन, राजा की सभी कोशिश असफल रहीं। इसके बाद राजा ने निर्णय किया की वह तपस्या करेगा। राजा तपस्या के लिए जा रहे थे तो उनके साथ उनकी परम प्रिय रानी, जो इक्ष्वाकु वंश के राजा हरिश्चंद्र की पद्मिनी नाम की कन्या थी। जो राजा के वन में चलने के लिए तैयार हो गई। दोनों गंधमादन पर्वत पर तपस्या के लिए चले गए। राजा ने उस पर्वत पर 10 हजार साल तर तप किया। फिर भी उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। तब रानी कमलनयनी पद्मिनी से अनुसूया ने कहा कि 12 माह से अधिक महत्वपूर्ण मलमास होता है। जो 32 माह पश्चात आता है। उसमें द्वादशी युक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने से तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण होगी। इस व्रत के करने से भगवान उन पर प्रसन्न होकर पुत्र की प्राप्ति होगी। इसके बाद रानी पद्मिनी ने पुत्र की कामना करके एकादशी का व्रत किया। साथ ही उन्होंने एकादशी को व्रत रखकर जागरण किया। जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र की प्राप्ति का वरदान दिया। व्रत के प्रभाव से रानी पद्मिनी और राजा कार्तवीर्य को पुत्र की प्राप्ति हुई । जो बहुत बलवान था और उनके समान तीनों लोकों में कोई बलवान नहीं था। तीनों लोगों में भगवान के सिवा उनको जीतने का सामर्थ्य किसी में नहीं था। जो व्यक्ति मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करता है और इस कथा का पाठ करता है या सुनता है उन पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।

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