रांची: आदित्यपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में नियमों का उल्लंघन कर जमीन आवंटित करने और कई संस्थानों के लिए जमीन की व्यावसायिक दर तय करने की सीबीआई जांच होगी। झारखंड हाईकोर्ट ने इस संबंध में दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया है। साथ ही मामले में आएडा कि तत्कालीन अध्यक्ष और उद्योग विभाग की वर्तमान प्रधान सचिव बंदना दादेल को सनलिप्त मानते हुए उनके खिलाफ भी सीबीआई की जांच का आदेश दिया है। अदालत ने राज्य के प्रमुख सचिव से कहा कि दादल ने अदालत को गुमराह किया है और तथ्यों को छुपाया है। इस कारण वह भी इसकी जांच करें और तथ्य मिलने पर आदेश मिलने के 15 दिनों के अंदर कार्रवाई करें।

आय से अधिक संपत्ति भी देखेगी सीबीआई 

कोर्ट ने सीबीआई को एक विशेष जांच टीम बनाने का आदेश दिया है। टीम अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरूपयोग कर निजी लाभ के लिए किए गए कार्यों व आयडा में पदस्थापित होने के बाद से अभी तक की उनकी संपत्ति की जांच करेगी। सीबीआई को अविलंब मामले की जांच का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि आयडा जैसे संस्थानों का गठन औद्योगिक विकास और रोजगार देने के लिए किया गया है। लेकिन यहां अधिकारियों ने अपने लाभ के लिए नियमों का उल्लंघन कर नियम बना लिए।

सचिव ने कहा, आयडा को नियम बदलने का अधिकार नहीं 

इसके बाद अदालत ने उद्योग सचिव वंदना दादेल से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कई बार समय के बाद भी सचिव ने जवाब दाखिल नहीं किया। अदालत ने जो दस्तावेज मांगे थे उसे भी पेश नहीं किया गया। उनसे बिंदुवार जानकारी मांगी गयी, लेकिन स्पष्ट जवाब नहीं दिया। बाद में उन्होंने शपथपत्र के मार्फत कहा कि आयडा को नियम बदलने का अधिकार नहीं है।

इसलिए सीबीआई जांच 

अदालत ने कहा कि ऐसे मामले की जांच राज्य की एजेंसी एसीबी से भी करायी जा सकती है। लेकिन वर्तमान में दादेल कैबिनेट (निगरानी) सचिव भी हैं। एसीबी की कार्यशैली भी संतोषजनक नहीं रही है। राज्य की एक वरीय आईएएस को ईडी ने गिरफ्तार किया है। इसलिए अदालत इसकी सीबीआई जांच का आदेश दे रही है।

एसीबी से जांच नहीं कराने का कारण बताया 

कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच राज्य सरकार की एजेंसी एसीबी से भी करायी जा सकती है। लेकिन वर्तमान में दादेल कैबिनेट (निगरानी) सचिव भी हैं। एक वरीय आईएएस को ईडी ने गिरफ्तार किया है। ऐसे में एसीबी जांच कराना उचित नहीं होगा। इसलिए अदालत इसकी सीबीआई जांच का आदेश दे रही है।

आयडा ने कहा था बोर्ड को निर्णय लेने का अधिकार

मामले की सुनवाई के दौरान जब अदालत ने आयडा के बायल़ॉज और अधिकार क्षेत्र के मामले में जानकारी मांगी, तो कई तथ्य सामने आ गए। यह बात भी सामने आयी कि आयडा में फैक्ट्री लगाने के बदले शो रूम खोलने का भी प्रावधान है। जब अदालत ने जानना चाहा कि क्या आयडा खुद इस तरह का प्रावधान कर सकता है। क्या किसी एक्ट में बदलाव के लिए विधायिका की मंजूरी नहीं लेनी है, तो बताया गया कि आयडा के निदेशक मंडल ने सर्वसम्मति से ऐसा करने का निर्णय लिया था। यह भी निर्णय लिया गया था कि फैक्ट्री के बदले शोरूम खोलने वालों से व्यावसायिक शुल्क लिया जाएगा, ताकि राजस्व आता रहे। अदालत को बताया गया कि जब यह निर्णय लिया गया तब आयडा की तत्कालीन अध्यक्ष वंदना दादेल भी बैठक में थीं। अदालत को बताया गया कि आयडा में 15 शोरूम चल रहे हैं।

अधिकार का दुरूपयोग

अदालत ने कहा कि प्रतीत होता है कि आयडा में अधिकारी अधिकार का दुरूपयोग कर जमीन आवंटन कर रहे हैं। इसमें उनका निजी स्वार्थ भी हो सकता है। जिस समय शो रूम के लिए व्यावसायिक दर तय हुआ उस समय दादेल ही आयडा की चेयरमैन थीं। उद्योग सचिव बनने के बाद भी मामले में उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे प्रतीत होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़ी की जा रही है।

क्या है मामला

हाईकोर्ट में बेबको मोटर्स ने अर्जी दायर कर कहा था कि उसे उसकी कंपनी भारत फोम के प्लांट के लिए जमीन दी गई थी। बाद में कंपनी ने सर्विस सेंटर खोलने की अनुमति मांगी। तब आयडा अध्यक्ष ने शो कॉज किया। आयडा ने ही आवेदन को मंजूरी दी है ऐसे में शो कॉज नहीं किया जा सकता। तब कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया।

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