नयी दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर (Government Employees) जल्द ही बड़ा ऐलान हो सकता है। NPS की समीक्षा के लिए गठित समिति कुछ नये प्रावधानों पर विचार कर रही है। ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार कर्मचारियों को मिनिमम एश्योर्ड पेंशन की गारंटी देने के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के नियमों में बदलाव कर सकती है. इस बीच वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया है कि गठित कमेटी संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया में है, और अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है
रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार NPS के नियमों में बदलाव करके कर्मचारियों को 40% से 45% एश्योर्ड मिनिमम पेंशन देने के नए फॉर्मूले पर काम कर रही है. यानी इस फॉर्मूले के तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट से पहले जो आखिरी सैलरी मिलेगी, उसी के आधार पर कर्मचारियों की मिनिमम पेंशन की राशि तय हो सकती है.
अभी तक समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने अप्रैल में वित्त सचिव टी वी सोमनाथन की अध्यक्षता में यह समिति गठित की थी। यह समिति सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना (Pension Scheme) की समीक्षा करने और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में जरूरी बदलाव के बारे में सुझाव देने के लिए गठित की गई थी। मंत्रालय ने गुरुवार को ट्वीट में कहा, ‘सोमनाथन समिति संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की प्रक्रिया में है और अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।’
वर्तमान नेशनल पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 10% और सरकार को 14% योगदान करने की आवश्यकता होती है। अंतिम भुगतान उस कोष पर बाजार के रिटर्न पर निर्भर करता है, जिसे ज्यादातर फेडरल डेट में निवेश किया जाता है। इसके विपरीत, ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी के अंतिम वेतन के 50% की निश्चित पेंशन की गारंटी मिलती है। दो अधिकारियों ने बताया कि सरकार वर्तमान स्कीम में संशोधन करने की योजना बना रही है ताकि कर्मचारी और सरकार दोनों अब भी योगदान दें और कर्मचारियों को पेंशन के रूप में उनके अंतिम वेतन का 40% -45% सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वह पुरानी पेंशन स्कीम में वापस नहीं जा रहे हैं। दोनों सूत्रों का कहना है कि सरकार का मानना है कि यह उन राज्यों की चिंताओं को भी दूर करेगा जो पुरानी पेंशन सिस्टम में वापस चले गए हैं और पूरे देश को एक वित्तीय रूप से स्थायी पेंशन योजना के साथ कवर किया जाएगा।
हिमाचल, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब जैसे राज्यों में सरकारें ओपीएस को लागू भी कर चुकी है। अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ओपीएस की भी काट निकालने जा रही है। दरअसल, सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार कर्मचारी को उसकी आखिरी सैलरी का 40-45 फीसदी पैसा बतौर पेंशन (Pension) के रूप में हर महीने दे सकती है।
मालूम हो कि अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने पेंशन सिस्टम को रिव्यू करने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया था। नई पेंशन स्कीम को साल 2004 में लागू किया गया था। उससे पहले तक रिटायरमेंट के समय कर्मचारी की सैलरी के हिसाब से पेंशन बनती थी, लेकिन फिर इसे बंद करके नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई थी, जिससे करोड़ों पेंशनधारकों को तगड़ा झटका लगा। 2014 के बाद लगातार कई विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव के हारने के बाद विपक्षी दलों ने ओल्ड पेंशन स्कीम पर फोकस किया है, जिसका उन्हें फायदा भी मिला है।
मोदी सरकार नहीं लागू करेगी ओपीएस
जहां तक केंद्र सरकार के स्तर पर ओपीएस लागू करने की मांग का सवाल है तो इस संभावना से वित्त मंत्रालय पूरी तरह इनकार कर चुका है। मंत्रालय की तरफ से संसद में जानकारी दी गई थी कि एक जनवरी, 2004 के बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में ओपीएस लागू करने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
ओपीएस में मिलती है 50% पेंशन
ओपीएस के तहत सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम आहरित वेतन का 50 प्रतिशत मासिक पेंशन के रूप में मिलता था। महंगाई भत्ते की दरों में बढ़ोतरी के साथ यह राशि बढ़ती रहती है। एनपीएस को जनवरी, 2004 के बाद केंद्र सरकार में शामिल होने वाले सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को छोड़कर सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है। अधिकांश राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों ने भी अपने नए कर्मचारियों के लिए पेंशन प्रणाली के तौर पर एनपीएस को अपनाया है।