रांची। राज्य सरकार “झारखण्ड पेंशन नियमावली” में संशोधन करने जा रही है यह संशोधन पुरानी पेंशन प्रदान करने संबंधित नियमावली को लेकर है। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में 10 साल की सेवा अवधि पूर्ण करने वाले कर्मचारियों को अंतिम वेतन का 50% अर्थात पूर्ण पेंशन दिया जा रहा है। लेकिन खबर है कि पेंशन नियमावली संशोधन में कई तरह के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। पेंशन नियमावली में बदलाव की खबर से अब कर्मचारियों में बैचेनी बढ़ गयी है।

जानकारी के मुताबिक जिन प्रस्तावों पर विचार किये जाने की खबर आ रहीहै, उसके मुताबिक पूर्ण पेंशन के लिए कुल सेवा अवधि 33 वर्ष किया जा सकता है। वहीं पेंशन की राशि अंतिम वेतन का 50% से घटाकर 40% करने की भी चर्चा चल रही है। विदित हो कि राज्य सरकार ने 1 सितंबर 2022 से अपने उन कर्मियों के लिए भी पुरानी पेंशन बहाल किया है जिनकी नियुक्ति 1 दिसंबर 2004 के उपरांत नई पेंशन योजना के तहत हुई है।

इस प्रकार समस्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के दायरे में लाने से पुरानी पेंशन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ेगी, ऐसा लगता है कि वित्त विभाग के अधिकारी दीर्घकालिक वित्तीय दायित्वों को कम करने के लिए पूर्ण पेंशन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों की संख्या को सीमित करने हेतु इस प्रकार के संशोधन प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं।

क्या कहते है NMOPS के प्रदेश अध्यक्ष

इस विषय पर बात करते हुए झारखंड ऑफिसर टीचर्स एंड एम्पलाइज फेडरेशन तथा पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन झारखंड के प्रांतीय अध्यक्ष विक्रांत कुमार सिंह ने कहा कि हमें भी ऐसी सूचना मिली है जो कि अत्यंत चिंता का विषय है। वास्तविक रूप से यह मुख्यमंत्री जी के लोक कल्याणकारी सोच के भी विरूद्ध है। सेवा अवधि में यदि बढ़ोतरी की जाती है तो 70 से 80% कर्मचारी पूर्ण पेंशन से वंचित हो जाएंगे।

AJPMA ने भी किया विरोध

इस नई नियमावली पर हो रही चर्चा पर जब स्वास्थ्य विभाग के संगठन ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार सिंह से राय जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कर्मचारी हित को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन योजना को बिना किसी भी प्रकार के कटौती के लागू किया है यदि इसमें किसी भी तरीके का संशोधन का प्रस्ताव विभाग द्वारा लाया जाता है इसका पुरजोर विरोध सारे कर्मचारी संगठन मिलकर करेंगे।

केंद्र सरकार ने अपने पेंशन नियमावली में संशोधन करते हुए न्यूनतम अर्हक सेवा को 20 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष कर दिया है इसके पीछे बहुत ही स्पष्ट तर्क है कि आप यदि अधिकतम उम्र सीमा 42 वर्ष तक रखते हैं तथा कई विशेष परिस्थितियों में यह 50 वर्ष तक है तथा सेवानिवृत्ति की उम्र 60 वर्ष निर्धारित है ऐसे में अपने अधिकतम उम्र सीमा में नियुक्त होने वाले कर्मचारी पूर्ण पेंशन प्राप्त करने हेतु अर्हक सेवा कैसे पूर्ण कर पाएंगे?

उन्होंने कहा कि हम इस विषय के संदर्भ में जानकारी को सत्यापित कर रहे हैं इसके उपरांत इस विषय को माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया जाएगा।
“कर्मचारी ऐसे किसी अनैतिक बदलाव का पूरी ताकत से विरोध करेंगे।”

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