रायपुर/शिमला: राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड पुरानी पेंशन बहाली करने वाला तीसरा राज्य तो बन गया है, लेकिन NPS की होल्ड राशि ने सभी राज्यों के लिए OPS को बड़ा चैलेंजिंग बना दिया है। झारखंड में तो कर्मचारी खुद ही कोर्ट में चले गये हैं और राज्य सरकार की तरफ से शपथ पत्र का विरोध जता रहे हैं। तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार के कोर्ट में जाने के संकेत दिये हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने जब से ओपीएस लागू किया है, तभी से वो एनपीसी की जमा राशि को लेकर पत्राचार केंद्र सरकार से करना शुरू किया है। लेकिन केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना के तहत पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) में जमा 17 हजार 240 करोड़ रुपए की राशि वापस करने से इनकार कर दिया है।

लिहाजा, अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पर नई प्लानिंग कर रहे हैं। हिमाचल दौरे पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी किया। इस दौरान प्रेस कांफ्रेंस में जब नयी पेंशन योजना की राशि लाने को लेकर सवाल पूछा गया तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना लागू की है। वहां केंद्र सरकार ने नई योजना के अंशदान के तौर पर जमा राशि को वापस देने से इन्कार किया है। उन्होंने कहा, वह राशि 17 हजार करोड़ रुपए से अधिक है जो छत्तीसगढ़ सरकार और वहां के तीन लाख अधिकारियों-कर्मचारियों के अंशदान के तौर पर जमा है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को पत्र लिखा है कि हमने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है इसलिए वह पैसा हमें वापस कर दिया जाए। उन्होंने पैसा वापस करने से इन्कार किया है, लेकिन इसका कारण नहीं बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको कारण तो बताना होगा। हम फिर से पत्राचार करेंगे। नई पेंशन स्कीम के तहत तो कर्मचारियों के साथ उनका व्यक्तिगत एग्रीमेंट हुआ है। उसी के तहत राजस्थान में कर्मचारियों ने अपना पैसा वापस निकालना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, नई पेंशन स्कीम का एग्रीमेंट कर्मचारियों के साथ व्यक्तिगत किया गया था। वे पैसा तो कभी भी निकाल सकते हैं। वह पैसा निकालकर वे राज्य सरकार के खाते में जमा कर सकते हैं। उसे रोक नहीं सकता कोई। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग उसमें लीगल एडवाइज भी ले रहे हैं। केंद्र सरकार को फिर से पत्र लिखेंगे। उन्होंने पैसा नहीं देने की बात कही है, लेकिन क्यों नहीं देंगे आप यह तो बताना होगा।

बजट के दौरान पुरानी पेंशन की हुई थी घोषणा

मुख्यमंत्री ने 9 मार्च 2022 को बजट भाषण के दौरान पुरानी पेंशन योजना बहाली की घोषणा की थी। उससे पहले राजस्थान सरकार यह योजना लागू कर चुकी थी। बाद में इस योजना को राजपत्र में प्रकाशित कर लागू कर दिया गया। इसी के साथ नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के वेतन हो रही 10% की कटौती भी बंद हो गई। बाद में नई योजना के अंशदान का हिसाब हुआ तो पता चला कि राज्य सरकार ने एक नवंबर 2004 से 31 मार्च 2022 की अवधि के दौरान 11 हजार 850 करोड़ रुपए कर्मचारी और नियोक्ता अंशदान के तौर पर जमा किया है। इस जमा राशि का वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 17 हजार 240 करोड़ रुपए बनता है। वहीं राजस्थान में यह राशि 39 हजार करोड़ रुपए से अधिक है। दोनों राज्यों ने केंद्र से यह राशि वापस मांगी। केंद्र सरकार की संस्था पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उनके एक्ट में वापसी का प्रावधान ही नहीं है।

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