झारखंड ब्रेकिंग: ना नौकरी में आरक्षण…ना पेंशन ! आरक्षण के मुद्दे पर हेमंत सराकर की दो टूक, इन्हें ना तो आरक्षण का मिलेगा लाभ, ना ही दिया जायेगा पेंशन

Jharkhand Breaking: No reservation in jobs... No pension! Hemant Sarkar's clear statement on the issue of reservation, they will neither get the benefit of reservation, nor will they be given pension

Jharkhand News : झारखंड सरकार ने आरक्षण के मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ कर दी है। विधानसभा में शनिवार को भाजपा विधायक अमित कुमार यादव के सवाल पर राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वनांचल आंदोलनकारियों को पेंशन, नौकरी में आरक्षण या किसी अन्य प्रकार का लाभ नहीं मिलेगा। यह सुविधाएं केवल झारखंड आंदोलनकारियों के लिए निर्धारित की गई हैं। इस मुद्दे को लेकर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली।

 

दरअसल झारखंड विधानसभा में शनिवार को एक अहम मुद्दे पर चर्चा हुई, जिसमें वनांचल आंदोलनकारियों को पेंशन एवं अन्य सरकारी लाभ न दिए जाने का मामला उठा। भाजपा विधायक अमित कुमार यादव के सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि झारखंड राज्य द्वारा निर्धारित सुविधाओं का लाभ केवल झारखंड आंदोलनकारियों को मिलेगा, जबकि वनांचल आंदोलनकारियों को इनका कोई अधिकार नहीं होगा।

 

इस विषय पर सदन में तीखी बहस भी देखने को मिली। प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलेगा और उनके आश्रितों को भी इसका लाभ दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुविधाएं केवल उन्हीं लोगों के लिए हैं जिन्होंने झारखंड राज्य के गठन के लिए आंदोलन किया था, न कि वनांचल राज्य के लिए।

 

भाजपा विधायक अमित कुमार यादव ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दुर्भावनापूर्ण तरीके से झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग ने ‘वनांचल’ शब्द को हटा दिया, जिससे वनांचल आंदोलनकारियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि वनांचल आंदोलनकारी भी अलग राज्य की मांग को लेकर जेल गए थे, फिर उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है?

 

भाजपा विधायक सीपी सिंह ने भी इस विषय पर सरकार को घेरा और कहा कि अलग राज्य आंदोलन का नाम कुछ भी हो, लेकिन लड़ाई लड़ने वालों को उनका हक मिलना चाहिए। उन्होंने पूर्व मंत्री समरेश सिंह का उदाहरण देते हुए बताया कि उनके नेतृत्व में झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को मिलाकर वनांचल राज्य के गठन के लिए आंदोलन किया गया था।

 

इस पर मंत्री सुदिव्य कुमार ने जवाब देते हुए कहा कि झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं, और केवल उन्हीं लोगों को लाभ मिलेगा जो इन मानकों को पूरा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वनांचल आंदोलन में जेल जाने वाले या लाठी खाने वाले आंदोलनकारी ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेंगे।

 

झामुमो विधायक हेमलाल मुर्मू ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि झारखंड आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका झामुमो और दिशोम गुरु शिबू सोरेन की रही है। उन्होंने भाजपा को चुनौती देते हुए पूछा कि उनकी पार्टी के कितने नेताओं ने इस आंदोलन में लाठी खाई या जेल गए? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि भाजपा की झारखंड अलग राज्य बनाने में क्या भूमिका रही?

 

इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह स्पष्ट हो गया कि वनांचल आंदोलनकारियों को किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता या आरक्षण नहीं मिलेगा। झारखंड सरकार के इस रुख से यह मामला और अधिक तूल पकड़ सकता है, क्योंकि विपक्ष इसे लेकर लगातार हमलावर रुख अपनाए हुए है।

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