रांची । नियमितिकरण की मांग पर राज्य भर के मनरेगा कर्मी लामबंद होने लगे है और जल्द ही कर्मी आंदोलन का रुख अख्तियार करेंगे। झारखण्ड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की बैठक रविवार को मोरहाबादी मैदान में आयोजित की गयी. इसकी अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने की. मंच संचालन सचिव विकास पांडेय ने किया. इस दौरान संघ से जुड़े पदाधिकारियों, कर्मियों ने उनके मामले में राज्य सरकार के रवैये पर निराशा जतायी.

23 जुलाई से होगी आंदोलन की शुरुवात

जॉन पीटर बागे ने कहा कि अब अपनी मांगों को लेकर संघ चरणबद्ध आंदोलन करेगा. सरकार 2024 के चुनाव की तैयारी कर रही है. 16 वर्ष सेवा हमने ग्रामीण विकास विभाग को दिया. जवानी से बुढ़ापे तक पहुंच गए पर हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं है. ऐसे में अब पूरे प्रदेश में सरकार की बेरुखी और वादाखिलाफी का पर्चा आम जनता तक पहुंचाने का काम किया जायेगा. जिला मुख्यालय में 23 जुलाई से 31 जुलाई तक एक दिवसीय धरना दिया जाएगा.

20 अगस्त से सभी विधायकों, सभी कैबिनेट मंत्रियों का आवास घेराव कर अपना मांग पत्र सौंपा जाएगा. 18 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास घेराव भी किया जायेगा. 10 अक्टूबर से ग्रामीण विकास मंत्री के आवास पर घेरा डालो, डेरा डालो कार्यक्रम चलाया जायेगा. इसके बाद भी यदि मांगे पूरी नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर सभी मनरेगाकर्मी चले जाएंगे.

प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज सिंह ने कहा कि हमेशा से सरकार ने मनरेगा कर्मियों को छलने का काम किया है. हमलोगों ने कई बार अपनी मांगों को सरकार के पास रखने का प्रयास किया. पर सरकार सुसुप्त अवस्था में चली गई है. संविदा कर्मियों के दुःख, तकलीफ अब दिखाई नहीं दे रहे हैं. अतः सरकार को उखाड़ फेंकने की जरूरत है. जिस तरह रघुवर सरकार को उखाड़ फेंकने का काम अनुबंध कर्मियों ने किया था, उसी तरह इस सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेंगे.

बसंत सिंह ने कहा कि पूरे एक वर्ष का कार्य योजना तैयार किया जाय. सरकार मांगने कुछ भी देने वाली नहीं है. इससे लड़ कर छीनकर लेना पड़ेगा. 2007 में उन सबकी नियुक्ति एक वर्ष के लिए की गयी थी. कार्य संतोषजनक को देखते हुए आज तक वे सब सेवा में हैं. अब उनकी एक ही मांग है- सेवा नियमितीकरण. बैठक में उपस्थित सभी जिलों के जिला अध्यक्ष, सचिव और प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहे.

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