नयी दिल्ली । ज्ञानवापी मस्जिद का सच क्या है? इस सवाल का जवाब आज पूरा हिंदुस्तान जानना चाहता है। कोर्ट ने इस मामले में मस्जिद के भीतर करायी गयी वीडियोग्राफी को सार्वजनिक करने की बात की थी, टीवी चैनल पर ज्ञानवापी मंदिर के भीतर कराये गये वीडियो वायरल हो गये हैं। वीडियो में कई ऐसे चौकाने वाले नजारे कैद है, जिससे ये साफ हो जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जो हिंदू पक्ष दावा कर रहा है, उसमें काफी मजबूती है।

टीवी चैनल आजतक तक दिखाये गये वीडियो में दावा किया गया है, चैनल में जो वीडियो दिखाया गया, वो वीडियो सर्वे के दौरान कोर्ट कमिश्नर और वकीलों की मौजूदगी में बनाया गया है। वीडियों में कई चौकाने वाले राज खुले हैं। कमीशन की रिपोर्ट में जिन-जिन चीजों का दावा किया गया था, वो सभी बातें वीडियो में दिख रहा है। वीडियो में शिवलिंग के उपर सीमेंट डालकर उसे फव्वारा बनाया गया है, इसका प्रमाण दिख रहा है। उपर सीमेंट जैसी कड़ी चीज डालकर उसे टुकड़ों में काटा गया है। वीडियो देखकर ये लग रहा है कि शिवलिंग को खंडित करने की कोशिश की गयी। इसमें बीच में छेद करने की कोशिश की गयी। हिंदू पक्ष का दावा है कि उनके अराध्यदेव को नुकसान पहुंचाया गया।

कमीशन की टीम अंदर पहुंची तो उसने पानी वाले हिस्से में से पानी निकलपाया। पानी का कुछ अंश कम हुआ तो शिवलिंग का कुछ हिस्सा दिखा। पानी और कम हुआ तो अंदर शिवलिंग जैसी आकृति दिखी, जिसके बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ये शिवलिंग है। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ये शिवलिंग नहीं फव्वारा है। मामला कोर्ट में है और इसे लेकर अभी सुनवाई चल रही है।

इसके अलावे मस्जिद के अंदर त्रिशुल दिख रहा है। दीवारों में त्रिशुल की आकृति दिखती है। चश्मदीदों के मुताबिक मस्जिद में जो आकृति दिख रही है, उससे साफ है कि ये स्थल कभी पूजा का स्थल रहा होगा। मुस्लिम पक्ष का शिवलिंग को फव्वारा बताने का दावा भी खोखला नजर आता है, क्योंकि फव्वारा स्थल पर पानी का कोई रास्ता दिख नहीं रहा था। वहीं शिवलिंग की आकृति 58 सेंटीमीटर की है, जिसमें कई ढ़ाई इंच का सुराग है, जिसे देखकर पता चलता है कि शिवलिंग को खंडित करने की कोशिश की है।

दिखाये जा रहे वीडियो में नंदी महाराज के ठीक सामने मस्जिद वाले हिस्से में करीब 20 कदम पर टीनशेड में शिवलिंग जैसी आकृति है। जहां पानी भरा था। यह वो जगह है, जहां मुस्लिम समाज के वुजू किया करते थे। नदीं बापा से शिवलिंग जैसी आकृति की दूरी सिर्फ 83 फीट की है। वहीं मस्जिद की दीवारों पर नक्काशी में भी हिंदू प्रतीक चिन्हों को देखा जा सकता  है।

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