हद हो गई ! आयुष मेले में दूसरे दिन कर्मियों को बिरयानी बता बांट दिया सुखा भात.. प्रबंधन में साफ दिखा लचर व्यवस्था

धनबाद दो दिवसीय प्रखंड स्तरीय आयुष मेले का समापन किया गया।जिले के दो प्रखंड गोविंदपुर और बलियापुर में आयुष मेले का आयोजन किया गया था। आयुष मेले 26- 27 नवंबर को आयोजित किए गए। दो – दो प्रखंडों में एक ही तिथि को मेले के आयोजन में कुप्रबंधन के साथ साथ अव्यवस्था साफ देखी जा रही थी। स्थल के चयन से लेकर प्रचार प्रसार, एवम अन्य प्रबंधन सुचारू रूप से आयोजित करने के लाख दावे किए जा रहे हो परंतु सरकार के उद्देश्य के अनुरूप देशी चिकित्सा पद्धति को आमजन की कोशिश में घोर विफलता के तौर पर देखा जा सकता है।

मेले के दूसरे दिन गोविंदपुर में 310 और बलियापुर में 250 रोगियों ने निबंधन कराया। देशी चिकित्सा की बढ़ावा देने के मकसद से सरकार ने राशि भी खूब आवंटित की परंतु विभाग के तरफ से दावाओं की खरीदारी की घोर कमी देखी गई।

दवा की कंपनी को अपने अपने स्टॉल लगाने को कहा गया था। जिसके अनुरूप श्री श्री ,अक्षय, पंतजलि, रेक्कवेग सहित अन्य कंपनी अपने प्रचार प्रसार के उद्देश्य से स्टॉल लगाया जिसमे सिर्फ श्री श्री और अक्षय कंपनी द्वारा जरूरतमंदों को निशुल्क दवा बांटते देखा गया। वहीं पंतजलि की निःशुल्क सेवा न होकर मेले में दवा बेचते नजर आए, जिससे निःशुल्क दवा का दावा करने वाले विभाग की किरकिरी हो रही थी।

कुल 10 स्टॉल में सिमटा 1लाख 90 हजार का आयुष मेला
मेले 10 स्टॉल लगाए गए थे जिसमे,सामान्य चिकित्सा, यूनानी और होम्योपैथी काउंटर पर भीड़ देखी जा रही थी। दावा के नाम पर गिने चुने दवा होमियोपैथी की देखी गई। यूनानी दवा के नाम पर झारखंड सरकार का यूनानी कीट और होमियोपैथी काउंटर पर कोरोना किट बांटा गया। सामान्य चिकित्सा की गिनी चुनी दवा संबंधित सीएचसी से मंगाई गई थी।जानकारी लेने पर पता चला की CHC में खुद दवा का अभाव है, तो मेले में उपलब्ध कराना संभव नहीं। जबकि आवंटित राशि से काफी मात्रा में दवा की खरीदारी की जा सकती थी।

मेले के दूसरे दिन बासी पूड़ी की जगह बिरयानी का नाम देकर बांट दिया सुखा भात
पैसे की बंदरबांट का नायाब नमूना की शिकायत तब मिली जब मेले में दूसरे दिन गोविंदपुर में प्रतिनियुक्त कर्मियों को बिरयानी का नाम देकर सूखा भात (चावल से बना भात) बांटा गया। भूख से तिलमिलाए कर्मी प्रबंधन को कोसते हुए भेज बिरयानी में भेज ढूंढ रहे थे, परंतु वेज नही मिलने पर बिना चम्मच के ही सूखे भात खाते नजर आए। आखिरकार ये निम्न स्तर की लचर व्यवस्था का उदाहरण और पैसे की बंदरबांट का उदाहरण कभी कभार ही दिखाई पड़ते है।

बलियापुर में दूसरे दिन नही मिला आधे कर्मी को खाना
बलियापुर प्रखंड के लगाए गए मेले में सहिया द्वारा रोगी को दूर दराज क्षेत्र से लाया जा रहा था। परंतु उसे नाश्ता नहीं मिला। मेले की व्यवस्था के लाख दावे करने वाले विभाग की मीडिया में छपी खबरों में पोल खुलने के बाद पदाधिकारियों की झल्लाहट साफ देखी जा रही थी। ग्राउंड रिपोर्टिंग में प्राप्त जानकारी के अनुसार गोविंदपुर में बोरियो मोड़ से एक नाश्ते की दुकान से बासी पूड़ी के पैकेट का इंतजाम कराया गया था।









