पटना। शिक्षक बनकर नेतागिरी करना महंगा पड़ेगा। शिक्षा विभाग ने शिक्षक संगठनों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ACS केके पाठक ने नए आदेश के तहत शिक्षकों को अब मीडिया में अपने विचारों को व्यक्त करने पर पाबंदी मचा दी है। कोई शिक्षक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल अथवा किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन करता है तो उसके विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई होगी। इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा के निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी कर निर्देश दिया है।

शिक्षकों का आरोप है कि केके पाठक ने इस बार लोकतांत्रिक प्रणाली पर ही हमला बोला है। उन्होंने अपने नए फरमान में कहा है कि प्राथमिक ,माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारी सोशल मीडिया या अखबार में अपने विचार प्रकट कर रहे हैं। वो इस क्रम में सरकार की नीतियों की भी आलोचना कर रहे हैं। ऐसा किया जाना शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में बाधा पहुंचा रहा है ।


शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी गई है।
शिक्षा विभाग की तरफ से किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों का किसी भी संघ के सदस्य बनने की मनाही है। यदि कोई शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मी किसी संघ की स्थापना करता है या फिर उसकी सदस्यता ली जाती है तो उसे गंभीर कदाचार माना जाएगा। ऐसे में इनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया, अखबार या टीवी के माध्यम से अनर्गल प्रचार प्रसार नहीं किया जायेगा। ऐसा किया गया तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा। ऐसे में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...