पटना। जमीन के बदले नौकरी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद से दस घंटे से अधिक पूछताछ की। सुबह से शुरू हुआ सवालों का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। इस दौरान लालू प्रसाद की पुत्री और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती ईडी कार्यालय के बाहर इंतजार करती रही। उनके साथ राजद के तमाम वरिष्ठ नेता और समर्थक भी डटे रहे। शाम ढलने के बाद राजद समर्थकों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सुरक्षा में सीआरपीएफ को तैनात करना पड़ा। वहीं आज तेजस्वी यादव से पूछताछ होगी। ईडी ने कथित जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव को अपने पटना कार्यालय में पूछताछ के लिए समन जारी किया था।

क्या है ये पूरा घोटाला
कथित घोटाला उस समय का है, जब लालू प्रसाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार में रेल मंत्री थे. नौ जनवरी को, ईडी ने रेलवे में नौकरी के लिए जमीन से जुड़े धन शोधन मामले में आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें राबड़ी देवी, उनकी बेटियों राजद सांसद मीसा भारती और हेमा यादव सहित लालू प्रसाद के परिवार के अन्य लोगों को नामजद किया गया।

आरोपपत्र दाखिल होने के दिन राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने ईडी की कार्रवाई को ‘‘प्रतिशोध की राजनीति” कहा था और उन्होंने भाजपा पर विपक्षी दलों के खिलाफ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।

धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज मामला, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत पर आधारित है. इस मामले में सीबीआई पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।

लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को अक्टूबर में सीबीआई मामले में निचली अदालत से जमानत मिल चुकी है. सीबीआई के अनुसार, नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में विभिन्न जोनल रेलवे में दूसरे उम्मीदवारों के स्थान पर नियुक्त किया गया था।

सीबीआई का आरोप है कि बदले में, उम्मीदवारों ने सीधे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से प्रसाद के परिवार के सदस्यों को रियायती दरों पर जमीन बेची, जो मौजूदा बाजार दरों के एक-चौथाई से पांचवें हिस्से तक थी।

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