शिक्षा विभाग न्यूज। 22 हजार शिक्षकों की नौकरी एक झटके में खत्म कर दी गई। हाईकोर्ट ने पहली से पांचवी कक्षा के लिए भर्ती बीएड पास शिक्षकों को अयोग्य ठहरा दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद हड़कंप मच गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने ये फैसला सुनाया है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि ‘हम संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से बंधे हैं। राज्य को भी इसका पालन करना होगा। दरअसल, बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति 2021 में गई थी। नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत बेस पर ये नियुक्ति की गई थीं। इस दौरान कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी।

चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ क्लास एक से पांच तक की शिक्षक नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट फैसला सुना चुकी है। ऐसे में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि सरकार ने छठे चरण में क्लास एक से पांच तक के शिक्षकों की नियुक्ति में बीएड पास उम्मीदवारों की जो नियुक्ति की है, उसे रद्द करना होगा। उन नियुक्तियों को फिर से भरना होगा।

राज्य सरकार ने एनसीटीई की 2018 की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एनसीटीई ने बीएड पास अभ्यर्थियों को क्लास एक से पांच तक के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है। तब 2021 में हाईकोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की इजाजत दे दी थी, लेकिन मामले की सुनवाई कोर्ट में चलती रही।फैसले में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार को एनसीटीई की साल 2010 की मूल अधिसूचना के अनुसार योग्य उम्मीदवारों को ही नियुक्त करना होगा। इस फैसले से हड़कंप मच गया।

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