रांची। झारखंड में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने वाले पारा शिक्षकों पर गाज गिर सकती है। सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन का काम 5 दिसंबर को खत्म होने के बाद अब जल्द ही फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने वाले सहायक अध्यापकों की कुंडली तैयार होगी। झारखंड के पारा शिक्षकों में अब तक 107 सहायक अध्यापकों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं, हालांकि विभाग का दावा है कि यह संख्या अभी और बढ़ेगी। फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहे पारा शिक्षकों के खिलाफ जल्दी एफआईआर दर्ज की जा सकती है। साथ ही उन्हें सेवा से बर्खास्त करने की तैयारी चल रही है।

राज्य में 61,421 पारा शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच चल रही है। जिनमें से 44000 शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच पूरी हो चुकी है, जबकि 17000 प्रमाण पत्र की जांच चल रही है। इस दौरान कई चौकाने वाले खुलासे भी हुए हैं। जम्मू कश्मीर से लेकर यूपी, हरियाणा तक के ऐसे संस्थान के सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी की जानकारी सामने आई है, जो वाकई में अस्तित्व में ही नहीं है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सभी जिला से जांच के लिए रिपोर्ट मांगी है। साथ ही यह भी जानकारी तलब की गई है कि पारा शिक्षकों में से कितने पारा शिक्षकों ने जांच के लिए अपने प्रमाण पत्र दिए हैं और कितनों की जांच हो सकती है । विभाग ने उनकी विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है। इस महीने सभी DEO, DSE और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की होने वाली बैठक के पूर्व विस्तृत रिपोर्ट जिला मुख्यालय को देनी है, जिसके आधार पर विभाग तय करेगा कि किसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

खबर यह भी है कि जो शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहे थे। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनसे वेतन के नाम पर लिए गए पैसे की रिकवरी भी होगी। इधर सर्टिफिकेट जांच से बचने के लिए 200 से ज्यादा पारा शिक्षकों ने अपने इस्तीफे दे दिए हैं, वही 170 ने जांच के लिए सर्टिफिकेट जमा नहीं किया है। जिन पारा शिक्षकों ने जांच के प्रमाण पत्र नहीं दिए हैं उन्हें दो दिन में स्पष्टीकरण देकर बात रखने का मौका दिया जाएगा और 31 दिसंबर तक सेवा से मुक्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

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